कश्मीर मुद्दा पर रूस ने भारत का साथ दिया, चीन और पाक को करारा झटका

AJ डेस्क: कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अनौपचारिक बैठक में चीन और पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा है। इस बैठक में रूस ने भारत का साथ देते हुए कश्मीर को द्विपक्षीय मुद्दा बताया है। जम्मू-कश्मीर के मौजूदा हालात पर चर्चा के पाकिस्तान के अनुरोध पर चीन ने यह बैठक बुलाई थी। जिसमें चीन ने कश्मीर में हालात चिंताजनक बताए है। इस बैठक में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्यों और 10 अस्थाई सदस्यों ने शिरकत की। जिसमें रूस ने भारत का साथ देते हुए इस भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मुद्दा बताकर भारत का पक्ष लिया। यह बैठक बंद कमरे में हुई, जिसमें सिर्फ पांच स्थायी सदस्य और 10 अस्थायी सदस्यों ने ही शिरकत की।

 

 

 

 

 

कश्मीर के मुद्दे पर यूएन की सुरक्षा परिषद में अनौपचारिक बैठक खत्म हो गई। इस दौरान संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि अकबरुद्दीन ने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाना भारत का आंतरिक मुद्दा है और जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए यह कदम उठाया गया है। उन्होंने कहा कि किसी भी अंतरराष्ट्रीय संस्था ने नहीं कहा कि भारत मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहा है। हमारा संविधान एक खुली किताब है। लोकतंत्र के बारे में हमारा अनुभव कई देशों से ज्यादा है। अकबरुद्दीन ने चीन को आइना दिखाते हुए कहा कि हमें पता है कि लोकतंत्र और मानवाधिकारों की सुरक्षा कैसे करनी है।

 

 

 

 

भारत, अंतरारष्ट्रीय समुदाय को स्पष्ट रूप से बता चुका है कि जम्मू-कश्मीर से संविधान का अनुच्छेद 370 हटाकर विशेष दर्जा वापस लिया जाना उसका अंदरूनी मामला है और पाकिस्तान इस वास्तविकता को स्वीकार करे। कश्मीर पर पाकिस्तान के स्टैंड को यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल में कोई खास समर्थन नहीं मिला है। प्रमुख देशों में सिर्फ चीन से मिला समर्थन जबकि रूस, फ्रांस जैसे देशों ने पुरजोर विरोध किया। आपको बता दें कि यह बैठक अनौपचारिक थी इसका कोई रिकार्ड नहीं होता। सुरक्षा परिषद के कुल 15 देशों में अधिकांश भारत के रूख के साथ थे। 15 देशों में कम से कम 9 देशों ने अगर पाकिस्तान की मांग को समर्थन दिया होता तब कश्मीर पर औपचारिक बैठक आगे बुलाई जाती।

 

 

 

 

 

इस बैठक में चीन के अलावा सुरक्षा परिषद के शेष चार सदस्य ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और अमेरिका चाहते हैं कि भारत और पाकिस्तान द्विपक्षीय स्तर पर कश्मीर मुद्दे को सुलझाएं। 10 अस्थायी सदस्यों बेल्जियम, कोटे डि आइवर, डोमिनिक रिपब्लिक, इक्वेटोरियल गिनी, जर्मनी, इंडोनेशिया, कुवैत, पेरु, पोलेंड और दक्षिण अफ्रीका में से इंडोनेशिया और कुवैत ने ही अतीत में भी पाकिस्तान से सहानुभूति दिखाई थी।

 

 

 

 

 

 

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