पारिवारिक “जंग”, चाटुकार और अति विश्वास में घिर चुका “घराना” (पार्ट- 01)

हम अपने सुधि पाठकों को कोयलांचल के एक घराने के भीतर चल रही उथल पुथल से रूबरू कराने का प्रयास कर रहे हैं। साथ ही यहां भाजपा की दोहरी नीति जैसे सिद्धान्त की राजनीति करने का उसका दावा, वंशवाद का विरोध, अपराधियों को तरजीह नही देने के खोखला घोषणा पर भी प्रकाश डालेंगे। वैसे तो विधान सभा चुनाव की विधिवत घोषणा नही हुई है लेकिन झरिया में राजनीति की कैसी खिचड़ी पक रही है। यह भी आपके सामने होगा……………

 

 

AJ डेस्क: देश के किसी हिस्से में धनबाद की चर्चा होगी तो उसके साथ कोयलांचल के चर्चित घराने की चर्चा जरूर होती है। यह लाजिमी भी है। कोयला से लेकर जमीन तक का कारोबार, राजनीति से लेकर माफियागिरी तक साम्राज्य, भटके हुए बेरोजगार युवाओं की फ़ौज ही तो चर्चित घराने के “मुकुट” में चार चांद लगाता है।विरोधियो को मौत की नींद सुला देने का आरोप तो इस घराने पर लगना साधारण बात है। दशकों से कोयलांचल में “साम्राज्य” कायम रखने वाला घराना अभी खुद टेंशन में है।

 

 

 

 

कोयलांचल में उत्तर प्रदेश से आकर अलग ही साम्राज्य स्थापित करने वाला एक शख्स दशकों बाद भी अपने अच्छे कर्मों को लेकर याद किए जाते हैं लेकिन साथ में उनके शुभ चिंतक अब यह भी कहने से परहेज नही करते कि उस शख्सका गुण उनके ही वंशजो में देखने को नही मिलता। समय बदला, हालात बदल गए तो साथ में सोच भी बदल चुका है। कोयलांचल में अपने बंगला के नाम को ही ब्रांड बना देने वाले शख्स का साम्राज्य खण्ड खण्ड में विखण्डित होता जा रहा है।

 

 

 

 

कोयलांचल के चप्पा चप्पा पर जिस साम्राज्य का पताका लहराया करता था अब वह एक छोटे से हिस्से को ही बचाए रखने में परेशान है। इस घराने की नई पीढ़ी अब तक अपनी स्वतंत्र पहचान नही बना सकी है। इन्हें चुनाव लड़ना हो तो बैनर पोस्टर में उस शख्सियत का फोटो लगाना पड़ता है। उनके नाम की दुहाई देकर वोट मांगनी पड़ती है। कहने का तातपर्य इस नई पीढ़ी को राजनीति और सामाजिक पहचान के लिए अभी भी “बैशाखी” का सहारा लेना पड़ता है। अब धीरे धीरे सहानुभूति का असर भी फीका पड़ना शुरू हो चुका है। कभी केंद्र की राजनीति तक “धमस” रखने वाला यह घराना राज्य और जिला की राजनीति पर भी पकड़ खोता जा रहा है।

 

 

 

 

कोयलांचल में “बादशाहत” का सिक्का चलाने वाले इस घराने को अब एक साथ कई मोर्चो पर कड़ी टक्कर झेलना पड़ रहा है। इनके राजनैतिक गढ़ में बहुत ही सलीके से दूसरा गुट सेंधमारी शुरू कर चुका है। एक ओर विरोधी रणनीति के तहत साम्राज्य में सेंधमारी करने में जुटे हैं तो यह घराना “ओवर कंफीडेंस” और “चाटुकारों” के चक्कर में अपनी पकड़ खोता जा रहा है। कोयलांचल के जानकार विशेष कर उस शख्सियत को जानने वालों की माने तो आंधी तूफान की कौन कहे, अब तो जिस दिन विरोध में तेज हवा चल पड़ेगी। इनका साम्राज्य बालू के किला की तरह भरभरा कर ध्वस्त हो जाएगा। “टेंशन में टेंशन” का होने के कारण भी हैं। बाहर के साथ साथ “पारिवारिक जंग”।

 

 

 

 

 

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