सुप्रीम कोर्ट में रखा गया “राम लला विराजमान” का पक्ष, वकील ने ASI के रिपोर्ट पर प्रकाश डाला
AJ डेस्क: राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई के दौरान राम लला विराजमान का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील सीएस वैद्यनाथन ने मंगलवार को कहा कि विवादित ढांचे का निर्माण या तो मंदिर को गिराकर या उसके अवशेषों पर किया गया। वैद्यनाथन ने कहा कि इस स्थल पर विवादित ढांचे से पहले हिंदू धार्मिक संरचना मौजूद थी। राम लला के वकील ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि एएसआई को विवादित स्थल से जो खंभे मिले हैं वे बाबरी मस्जिद की जगह एक बड़ा हिंदू धार्मिक ढांचा होने का प्रमाण देते हैं। इसके अलावा अन्य साक्ष्य भी विवादित स्थल पर हिंदू धार्मिक ढांचे होने की पुष्टि करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में टाइटिल सूट की आठवीं दिन की सुनवाई केदौरान राम लला के वकील ने कहा कि एएसआई की रिपोर्ट में विवादित स्थल से मगरमच्छ और कछुए की आकृतियां मिलने की बात कही गई है। ये चिन्ह मुस्लिम संस्कृति का हिस्सा नहीं हैं। वैद्यनाथन ने अपनी दलील में कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड और अन्य पक्षों ने अब अपने रुख में बदलाव कर लिया है। पहले उनका कहना था कि विवादित स्थल पर ऐसा कोई धार्मिक ढांचा मौजूद नहीं था लेकिन अब उनका कहना है कि ये चीजें इस्लामी ढांचे का हिस्सा हैं।
बता दें कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई कर रही है। इस संवैधानिक पीठ में प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई सहित न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं। गत शुक्रवार को केस की सुनवाई के दौरान वैद्यनाथन ने विवादित 2.77 एकड़ भूमि पर अपना दावा किया।
Ayodhya case: Senior advocate CS Vaidyanathan appearing for 'Ram Lalla Virajman' told Supreme Court that disputed structure was put in place either on the ruins of the temple or by pulling down the temple pic.twitter.com/Yg6AC0G0WN
— ANI (@ANI) August 20, 2019
इसके पहले शीर्ष न्यायालय ने इस विवाद का हल मध्यस्थता के जरिए करने के लिए एक पैनल का गठन किया था लेकिन यह मध्यस्थता पैनल तीनों पक्षों के बीच सुलह कराने की अपनी कोशिशों में सफल नहीं हो पाया। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि वह रोजाना इस केस की सुनवाई करेगा। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने रोजाना सुनवाई करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध भी किया।
सुप्रीम कोर्ट इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले को चुनौती देने वाली 14 याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। इहालाबाद हाई कोर्ट ने 2.77 एकड़ भूमि को तीन पक्षकारों राम लला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच आवंटित करने का फैसला सुनाया है।
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