“घराना की बादशाहत” कायम है, चंगु-मंगु का जुमला ऑल इज वेल है बरकरार (पार्ट- 07)

AJ डेस्क: खण्ड खण्ड में घराना भले ही विखण्डित हो चुका हो लेकिन बादशाहत पर रत्ती भर असर नहीं पड़ा है। घराना का मुखिया कहीं भी रहकर “सल्तनत” चलाने की क्षमता रखता है और चला भी रहा है। दरबार सज ही रहा है, पियादा हाजिरी लगा ही रहे हैं, चेहरा दिखाने वाले कतार में नजर आते ही हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात इनका मजबूत नेटवर्क “लक्ष्मी” के आगमन का रास्ता क्लियर रखे हुए है। तभी तो चंगु मंगु कहते हैं- ऑल इज वेल—-।

 

 

 

 

एक समय ऐसा आया था जब घराना पर मानों मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा था। इसका बुरा असर भी पड़ा। दशकों पुराने इस घराने में और भी फूट पड़ गयी। यह कोई साधारण घर की बात तो है नही। घराना है भाई घराना। सभी महत्वकांक्षी हैं। बड़े मियां तो बड़े मियां, छोटे मियाँ भी ताल ठोकने लगे कि –जनता जर्नादन मैं भी हूँ, यह न भूलें। कोयलांचल की जनता ने टूट फूट चुके घराना के छोटे पहलवान को ऐसा पटखनी दिया कि वह औंधे मुंह गिर पड़े। इसमें बड़े मियां की भी कहीं न कहीं भूमिका रही है। कहते हैं कि उनकी मजबूरी थी नही तो बड़ा कीमत चुकाना पड़ता। कीमत तो ऐसे भी चुकाना ही पड़ रहा है। खण्ड खण्ड में बंटने के बाद सभी “अपनी ढफली अपना राग” अलाप रहे है। कोयलांचल के जिन व्यापारियों को पहले एक चौखट पर सेवा देना पड़ता था, उनपे दूसरे चौखट का भी दबाव आने लगा है। आखिर वह भी उसी घराना के राजकुमार हैं तो उनका हक बनना स्वभाविक है। यानि भीतर ही भीतर कई तरह की खिचड़ी पक रही हैं फिर भी चंगु मंगु कहते हैं कि– ऑल इज वेल”।

 

 

 

 

बंदिशों में जकड़े होने के बावजूद घराना का सल्तनत न सिर्फ बरकरार है बल्कि बादशाहत में कोई कमी नही है। चप्पा चप्पा पर मजबूत नेटवर्क काम कर रहा है। सभी अपनी जिम्मेवारी को बखूबी निभा भी रहे हैं। इसलिए घराना के सेहत पर कोई खास फर्क नही पड़ते दिख रहा। मजे की बात है कि आखिर इतनी बंदिश वाले स्थान पर आखिर “दरबार” कैसे लग जा रहा है। कुछ खास आदमी लगभग प्रतिदिन खास ए बैठक में शामिल होकर आगे की रणनीति पर विचार मंथन कैसे कर लेते हैं। हर पल सूचना का आदान प्रदान कैसे हो जाता है। जब यह सब सम्भव हो ही जाता है तो चंगु मंगु ऑल इज वेल गलत कहाँ बोलते हैं।

 

 

 

 

आल इज रॉन्ग, यह समय के गर्भ में है।जनता चुप है तो विरोधी पूरी तरह सक्रिय। क्षेत्र में समय देने के अलावा किसी के भी सुख दुख में घराना के विरोधी पहुंच वहां की सहानुभूति बटोर रहे हैं तो वहीं चंगु मंगु जोड़-घटाव की राजनीति में उलझ कर कहते हैं कि– ऑल इज वेल।

 

 

 

 

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