शराब कारोबारी ने फिर बदला चोला
अनल ज्योति डेस्क : “सेवा परमो धर्म –” या कुछ और। धनबाद में एक सामाजिक संस्थान इस दिशा में काफी सक्रियता के साथ तेजी से बढ़ रहा है। निर्धन बच्चों को सिनेमा का लुत्फ़ दिला दे रहा है तो उन्हें कभी कभी लजीज व्यंजन का स्वाद भी चखा रहा है। लग्जरी वाहन का आनंद भी मिल जा रहा है बच्चों को। अरे बात यहीं रूकती नही है यह सेवा संगठन और भी कई समस्याओं का “समाधान” रखे हुए है। “शिक्षा दान” से लेकर “वृक्षारोपण” फिर “स्वच्छता अभियान” आदि इनकी सेवा धर्म में शामिल है।कार्य सराहनीय है, तरजीह भी मिल रहा है। नेटवर्क भी बढ़ता जा रहा है। तो नए नए चेहरे भी साथ में जुड़ते जा रहे हैं। यह सब तो होता ही है फिर घुम्मकड़ कौन सी नई बात बताना चाहता है।
मीडिया तो मीडिया ही है लेकिन परन्तु सोचेगा ही
घुमक्कड़ ने देखा है कि राजनीतिक पार्टियां हों, किसी तरह के संघ संगठन हों या NGO हों। वह अपने कार्यक्रम को खुद को हाई लाइट कराने के लिए मीडिया वालों को जरूर आमंत्रित करते हैं। मिडिया अपनी नजर से सब कुछ देख कर उसी के मुताबिक खबर बनाती है। घुमक्कड़ यह नही समझ पाया कि यह संस्था मिडिया से आधा परहेज क्यों कर रहा है। अपने कार्यक्रम का खुद फोटो खींच खबर बना न सिर्फ सोशल मीडिया में बल्कि पत्रकार बन्धुओं के व्हाट्सअप पर डाल तो देता है लेकिन कार्यक्रम की पूर्व सुचना देकर ऑन स्पॉट मिडिया को बुलाने से क्यों परहेज करता है। घुमक्कड़ ने सोचा भाई सबका अपना स्टाइल है, इनका यही स्टाइल होगा। फिर भी मीडिया तो मीडिया ही है लेकिन परन्तु सोचेगा ही, परहेज का कारण भी सामने ला ही देगा।
घुमक्कड़ मुफ्त में एक ही सलाह देगा
मुट्ठी भर लोगों के साथ शुरू किये गए सेवा धर्म कार्य अब कारवां बनता जा रहा है। घुमक्कड़ इसके लिए बधाई देता है तो सावधान करना भी जरूरी समझता है। घुमक्कड़ ने देखा धनबाद के जी टी रोड का एक कथित समाज सेवी की इन दिनों अचानक सक्रियता बढ़ गयी है। दशकों से “शराब कारोबार” का धाक्कड़ यह कारोबारी समय के साथ साथ मंच और चोला बदलने में माहिर है। इसकी पैनी नजर होती है कि अभी कौन “वरीय प्रशासनिक अधिकारियों” के नजदीक है। वैध अवैध शराब का कारोबार करने वाला यह शख्स तुरन्त उसके साथ जुड़कर प्रशासनिक अधिकारियों तक अपनी पहुंच बना लेता है। साथ में फोटो खिंचवा लेता है। फोन नम्बर का आदान प्रदान हो जाता है। यदा कदा वरीय अधिकारियो के साथ फोन पर दुआ सलाम भी कर लेता है। फिर क्षेत्र के कनीय अधिकारियो को बड़े साहब के साथ की तस्वीर और डायल कॉल लिस्ट में उनका नाम दिखाकर प्रभावित करता है। इसके बाद उसका “गोरखधंधा” परवान चढ़ने लगता है। घुमक्कड़ मुफ्त में एक ही सलाह देगा, कार्य में पारदर्शिता रखें और सोच समझकर किसी को जोड़ें। तभी चन्दन की तरह नेक कार्यों की खुशबु फ़ैल पाएगी अन्यथा अपना ही दाग धोने का समाधान ढूंढते रह जाओगे।