घराना के भ्रमित चंगु मंगु कर रहे गुमराह की राजनीति, सच्चाई से फेर रहे मुंह
AJ डेस्क: घराना है कि पूरी तरह चंगु मंगु के कंधे पर अपनी राजनीति का बोझ डाले हुए है। खुद भ्रमित चंगु मंगु अब भला अपनी इज्जत बचावें या घराना का सल्तनत। वार्ड का चुनाव तक जीतने जीताने की कूवत इनके पास नही है और घराना है कि ——।
चुनाव की विधिवत घोषणा तो अभी नही हुई है लेकिन सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है। टिकट के दावेदार पार्टी मुख्यालय से लेकर क्षेत्र तक सक्रिय हो चुके हैं। घराना का सारा समीकरण गड़बड़ हो चुका है। घर के भीतर से लेकर क्षेत्र तक में बगावत की आवाज उठने लगी है। जिस तेजी से समर्थको की संख्या घट रही है उससे दोगुनी तेजी से नाराजगी का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। घराना कर्ता धर्ता, मुखिया विहीन हो चुका है। अब मुख्य रूप से दो ही पालनहार बचे हैं चंगु और मंगु। क्षेत्र में इनकी अगुवाई बर्दाश्त करने को कोई तैयार ही नही है। चंगु मंगु का पर्सनाल्टी भी ऐसा नही है कि उन्हें कही रेस्पॉन्स मिले जानकार बताते हैं कि उनके मोहल्ले में ही उन्हें कोई तरजीह नही देता तो विधान सभा क्षेत्र में वह कौन सा जलवा दिखा देंगे।
एक गुट है जिसकी सक्रियता बढ़ती जा रही है। क्षेत्र का दौरा लगातार जारी है तो इधर कमान सम्भाले चंगु मंगु अभी तक खाता बही में चित्र और प्लान ही बना रहे हैं और अपने कप्तान को “ऑल इज वेल”——। अब क्षेत्र की जनता ही तय करेगी कि भ्रमित जीव चंगु मंगु दोषी हैं या उनको जिम्मेदारी देने वाला शख्स। यही पता करते करते चुनाव पार हो जाएगा और वोटिंग में ही कारण का पता चल पाएगा।
एक पुरानी गीत है- “तेरा राम जी करेंगे बेड़ा पार—-“। अब एक राष्ट्रीय पार्टी के कमजोर नेता-प्रत्याशी और उनके चंगु मंगु जैसे कर्ता धर्ता गाते हैं– “हमलोगों का मो—शा—करेंगे बेड़ा पार, मन काहे को घबड़ाए…। लेकिन सच्चाई यह नही है। अपना कर्म, मेहनत होगा तभी—- बेड़ा पार होगा।
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