आयुष्मान भारत योजना बंगाल में निष्क्रिय होने से धनबाद के अवध ने दी जान

AJ डेस्क: शुक्रवार की देर रात धनबाद के तेलीपाड़ा स्थित एक तालाब में कूदकर एक व्यक्ति ने अपनी जान दे दी। अब आप सोंच रहे होंगे की भला उस इंसान ने इस तरह से अपनी इहलीला आखिर क्यों समाप्त कर ली। तो हम बता दें कि उस व्यक्ति को आत्महत्या के लिए प्रेरित करने वाला और कोई नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अति महत्वकांक्षी योजना ‘आयुष्मान भारत’ और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी है। अब आप सोंच रहे होंगे की भला आयुष्मान भारत जो लोगों की जान बचाने की योजना है वो भला इस इंसान को खुदखुशी करने के लिए कैसे प्रेरित कर सकता है? और तो और इसमें बंगाल की सीएम ममता बनर्जी का क्या रोल हो सकता है। तो जनाब हम बता दे की इस खुदखुशी में सबसे बड़ा रोल ममता बनर्जी ने ही अदा किया है।

 

 

 

 

शनिवार की दोपहर लगभग 2 बजे के आस पास धनबाद के तेलीपाड़ा स्थित तालाब में नहाने गए लोगों को एक शख्स की लाश तालाब के पानी में तैरती हुई दिखाई पड़ी। जिसकी सूचना लोगों ने तत्काल सदर थाना पुलिस को दिया। देखते ही देखते ये खबर पूरे इलाके में जंगल की आग की तरह फैल गई। वहाँ लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। पुलिस भी मौके पर पहुंची। जिसके बाद बड़े ही मसक्कत से पुलिस ने लोगों की मदद से उस तैरती हुई लाश को तालाब के पानी से बाहर निकाला। शव के बाहर आते ही लोगों ने उस लाश को पहचान लिया। यह शव तेलीपाड़ा के ही रहने वाले अवध किशोर गिरी का था। तत्काल इसकी सूचना उसके परिजनों को दी गई।

 

 

चीखते-चिल्लाते मृत अवध किशोर गिरी के परिजन भी मौके पर तत्काल पहुँच गए। इसके बाद परिजनों ने इस खुदखुशी पर अपना जो बयान दिया वो बड़ा ही चौंका देने वाला है। मृत अवध किशोर गिरी के बेटे संदीप गिरी ने बताया कि उनका परिवार आर्थिक रूप से काफी कमजोर है। वहीं उनके पिता में केंसर के लक्षण पाए गए थे। जिसके बाद से ही वो आयुष्मान भारत योजना के तहत उनका इलाज करवा रहे थे। लेकिन बेहतर इलाज के लिए उन्हें पश्चिम बंगाल के चितरंजन स्थित एक केंसर अस्पताल में जाना पड़ा। लेकिन वहाँ जाकर पता चला की देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अति महत्वकांक्षी योजना आयुष्मान भारत की यहाँ कोई अहमियत नहीं है। यहाँ चलता है तो बस ममता बनर्जी सरकार द्वारा निर्गत हेल्थ इंश्योरेंस कार्ड। जो उनके पास नहीं था। इस वजह से उन्हें बिना इलाज के ही वहाँ से बैरंग वापस लौटना पड़ा। जिससे उनके पिता काफी मायूस थे। वह किसी से भी कोई बात नहीं कर रहे थे। संदीप गिरी ने कहा कि वहाँ से आने के बाद शुक्रवार की देर रात लगभग 12 बजे के आस पास उनके पिता अकेले ही घर से बाहर निकल गए। जिसके बाद उन्होंने अपने पिता को काफी ढूंढने का प्रयास किया लेकिन वो कही नहीं मिले। मिले तो मृत हालात में।

 

 

 

 

वहीं मामले की जाँच करने पहुंचे सदर थाना के एएसआई मार्कण्डेय मिश्रा ने बताया कि परिजनों द्वारा मृतक के केंसर मरीज होने की बात कही गई है। परिजनों द्वारा किसी भी तरह की कोई शंका जाहिर नहीं की है। उन्होंने कहा की जाँच के दौरान पता चला है कि मृतक अपना इलाज न होने की वजह से काफी मायूस था जिसकी वजह से उन्होंने आत्महत्या कर ली। फ़िलहाल शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जा रहा है। रिपोर्ट आने के बाद ही आगे क़ानूनी प्रक्रिया की जाएगी।

 

 

 

 

अब सवाल यह उठता है कि क्या पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ममता मर चुकी है? क्या बाहर से वहाँ जाने वाले गरीब इंसानों को ममता गरीब या इंसान नहीं मानती? क्या उन्हें वोट देने का अधिकार रखने वाले ही उनकी नजर में गरीब या एक इंसान है? केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही गरीबो को जिंदगी देने वाली योजनाओं को कुचल कर क्या ममता वहाँ देश विरोधी सरकार चला रही है? ऐसे ही कितने सवाल आज देश की गरीब जनता उनसे पूछती हुई नजर आ रही है।

 

 

 

 

हमारे फेसबुक पेज से जुड़ने के लिए अभी अपने फेसबुक पेज के ऊपर SEARCH में जाकर TYPE करें analjyoti.com और LIKE के बटन को दबाए…

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Article पसंद आया तो इसे अभी शेयर करें!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »