धरोहर: झरिया का “राजा तालाब”- लो फिर याद आया (VIDEO)

AJ डेस्क: दशकों से झरिया का “राजा तालाब” गन्दगी और अतिक्रमण का दंश झेलते झेलते कराह रहा है और दूसरों को खुद पे राजनीति करने का पूरा मौका देता आया है। झरिया का एक धरोहर भी कहा जा सकता है राजा तालाब को लेकिन झरिया की राजनीति से अपने को चमकाने वालों ने कभी भी ईमानदारी से राजा तालाब की दशा बदलने का प्रयास नही किया।

 

 

चुनाव का मौसम हो, दुर्गा पूजा या छठ पर्व का समय। राजा तालाब सभी का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट कर लेता है। यहां राजा तालाब का मुद्दा हथियाने के लिए होड़ मच जाता है। सभी क्रेडिट लेने के फ़िराक में लग जाते हैं। पर्व त्यौहार के मौके पर तालाब की सफाई कराकर जनता का वोट रूपी आशीर्वाद पाने की जुगत शुरू हो जाती है।

 

 

 

 

कल बुधवार को झरिया से भाजपा के विधायक संजीव सिंह की पत्नी अपने काफिला के साथ राजा तालाब पहुंचती हैं। तालाब की दुर्दशा पर चिंता जाहिर करती हैं और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए शीघ्र ही तालाब की सफाई कराने का दिशा निर्देश देती हैं। इसे कहते हैं त्वरित कार्रवाई। आज राजा तालाब की सफाई का कार्य शुरू भी हो जाता है। काश राजा तालाब को लेकर यही सक्रियता, गम्भीरता और ततपरता वहां के जन प्रतिनिधियों के बीच होती तो झरिया के इस धरोहर का कायाकल्प ही हो जाता।

 

 

देखें वीडियो-

 

 

जब से झारखण्ड बना है। झरिया का प्रतिनिधित्व एक ही परिवार तक सिमटा हुआ है। शुरू में तो इस परिवार के बच्चा सिंह सूबे के नगर विकास मंत्री भी हुआ करते थे। उस कार्यकाल में राजा तालाब का कायाकल्प हो सकता था। ऐसा नही है कि राजा तालाब के नाम पर कोई काम ही नही हुआ। नाला बने हैं, घाट बना है। बीच बीच में सफाई भी होते रहती है लेकिन स्थायी समाधान नही ढूंढा गया और जो भी विकास कार्य हुए थे उससे जनता कितनी लाभान्वित है। यह सभी जानते हैं। पिछले दो दशक से झरिया का प्रतिनिधित्व करने वाले नगर निगम और जिला प्रशासन से सामंजस्य बैठाकर चाहते तो राजा तालाब आज प्रदूषण की मार झेल रहे झरिया वासियों के लिए जीवन रेखा साबित होता।

 

 

 

 

अब पर्व त्यौहार के साथ साथ चुनाव भी सर पर है। झरिया का एक धरोहर RSP कॉलेज झरिया वासियों के हाथ से निकल चुका है। झरिया वासियों के दिल में इस बात की मलाल रहती है। कॉलेज को बचाने के लिए मजबूत नेता सामने आकर जन आंदोलन तक खड़ा नही कर पाए। वहीं भूमिगत आग के नाम पर बन्द किये गए धनबाद चन्द्रपुरा रेल लाइन पर जन आंदोलन के चलते पुनः ट्रेन का परिचालन शुरू हो गया। जबकि RSP कॉलेज झरिया से दूर चला गया। अब झरिया का एक और धरोहर राजा तालाब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ते हुए राजनीतिक लाभ का अखाड़ा बना हुआ है। गन्दगी और अतिक्रमण इसकी पहचान को ही नष्ट करने पर तुली हुई है।

 

 

पर्व त्यौहार के मौके पर सिर्फ जल कुम्भी हटवा कर जनता का समर्थन लेने का खेल भी तभी चल पाएगा, जब तालाब का अस्तित्व ही बचा रहेगा। चलिए कम से कम क्षेत्र के नेता अपनी पहुंच के बल पर कम से कम बीसीसीएल या अन्य एजेंसी का सहयोग लेकर पर्व त्यौहार के मौके पर तालाब की सफाई करा श्रद्धालुओं को सुविधा दे देते हैं, यही क्या कम है।

 

 

 

 

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