योजनाओं पर निर्भरता नहीं, खुद पर भरोसा, किसान बनेंगे स्वालम्बी- अशोक

AJ डेस्क: किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने का सपना संजोए निकल पड़े हैं मंजिल की ओर। किसी सरकारी योजनाओं पर निर्भरता भी नहीं बल्कि ईमानदार उद्देश्य के बल पर जिला परिषद के सदस्य, कांग्रेसी नेता अशोक सिंह ने ठान लिया है कि शोषित किसानों के आर्थिक उत्थान के लिए उन्हें कुछ करना है।

 

 

 

 

इस मुद्दे पर अनल ज्योति की विस्तृत वार्ता अशोक सिंह के साथ हुई।उनसे पूछा गया कि क्या वह विधान सभा लड़ने के इच्छुक नही हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी यदि उन्हें धनबाद से टिकट देती है तो वह निश्चित रूप से चुनाव लड़ेंगे लेकिन राजनीति के कारण किसानों को लेकर उन्होंने जो सपना देखा है, वह बीच में नहीं रुकेगा। राजनीति में रहने का भी मुख्य उद्देश्य सेवा ही तो है फिर वह किसानों से कैसे अलग हो सकते हैं।

 

 

 

 

किसानों की आर्थिक और जनता के सेहत को पूरी तरह ध्यान में रखकर उन्होंने योजना बनाया है। “धनबाद का अपना” कैचअप होगा। यहीं के खेतों में बगैर रासायनिक खाद और जहरीले किट नाशक दवाईयों के प्रयोग किए टमाटर की खेती होगी। खेती में जैविक खाद का प्रयोग किया जाएगा। किसान अपने उत्पाद का सही कीमत और बाजार नहीं मिलने के कारण आर्थिक रूप से टूटते जा रहे थे और खेत खलिहान से वह विमुख होते जा रहे थे। उपजाऊ खेत बंजर बनता जा रहा था और किसान बेरोजगार।जिप सदस्य अशोक सिंह ने गोबिन्दपुर, बरवा अड्डा, तोपचांची, बलियापुर, भूली के कई किसानों को अपनी योजना के साथ जोड़ा है।

 

 

किसान को उनके उत्पाद के सही दाम देने और सालों भर बाजार उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गयी है। सीजन के वक्त उत्पादन बढ़ जाने से किसानों के उत्पाद औने पौने भाव में बिकता है। अशोक सिंह ने इससे अलग नई व्यवस्था बनायी है। उन्होंने किसानों के साथ पूरे वर्ष एक ही रेट में उनके द्वारा उत्पादित टमाटर खरीदने का एग्रीमेंट कर लिया है। इससे किसान सुरक्षित हो ही गए उनका मनोबल भी बढ़ गया है।

 

 

धनबाद में उत्पादित टमाटर से धनबाद में ही बन रहे टमाटर कैचअप को धनबाद का अपना कहा जा सकता है। अब बात जनता यानि उपभोक्ता के सेहत की। उपभोक्ता के सेहत को ही ध्यान में रखकर किसानों के साथ एग्रीमेंट किया गया है कि वह अपने खेतों में रासायनिक खाद और किट नाशक दवा का प्रयोग नही करेंगे। दूसरी बात सालों भर ताजा टमाटर से ही कैचअप बनाने की व्यवस्था की गयी है। एक अकेला बगैर सरकारी योजनाओं के किसानों के आर्थिक उत्थान के लिए निकल पड़ा है। यह तब ही सम्भव है जब इरादा नेक हो।

 

 

 

 

 

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