कोयलांचल के “हॉट सीट” झरिया में भाजपा से विष्णु ने भी ठोका ताल
AJ डेस्क: झरिया विधान सभा क्षेत्र के संयोजक विष्णु त्रिपाठी ने भी भाजपा से टिकट के लिए मजबूती के साथ दावा ठोक दिया है। इसके पहले पँचमूर्ति ने भी चुनाव लड़ने की इच्छा व्यक्त कर ही डाली है। क्षेत्र से छन छन कर मिल रही सूचना से यह तो स्पष्ट होने लगा है कि यदि पार्टी ने झरिया में वंशवाद या परिवारवाद किया तो वैसे प्रत्याशी को विरोधी के साथ साथ भीतरघात का भी सामना करना पड़ेगा।
रांची मुख्यालय में पार्टी के वरीय नेताओं ने प्रत्याशी के चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता बरतने की कोशिश की ही, साथ ही संगठन को भी तरजीह दिया गया। मंडल अध्यक्ष तक से उनकी राय ली गयी।विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि सभी मण्डल अध्यक्ष को तीन तीन प्रत्याशी का नाम क्रमवार देना ही था। झरिया विधान सभा के पांच में से चार मण्डल अध्यक्ष ही रांची पहुंच पाए थे और इनके साथ विधान सभा संयोजक विष्णु कान्त त्रिपाठी भी थे। पार्टी के वरीय नेताओं ने मण्डल अध्यक्ष से राय मशविरा करने के बाद उन्हें एक एक फार्म दिया। इस फार्म में मण्डल अध्यक्ष को अपने क्षेत्र के तीन तीन प्रत्याशी का नाम भरकर देना था। झरिया विधान सभा क्षेत्र के मण्डल अध्यक्ष ने रागिनी सिंह के अलावा विष्णु कान्त त्रिपाठी का नाम डाला और तीसरे प्रत्याशी के रूप में एक दूसरे का नाम लिख दिया।

झरिया विधान सभा क्षेत्र से पार्टी के वरीय नेता और धरती से जुड़े नेता राज कुमार अग्रवाल, हरीश जोशी, महाबीर पासवान सहित कुल छह नेताओं ने भी पहले ही अपनी दावेदारी ठोक डाली थी। इन नेताओं का कहना है कि इन छह में से किसी एक को पार्टी टिकट देती है तो झरिया से भाजपा की जीत तय है। अब इन नेताओं के इस बयान का जो अर्थ निकल जाए।
दो साल से अधिक समय से हत्या के आरोप में संजीव सिंह के जेल में बन्द रहने के कारण झरिया का प्रतिनिधित्व समाप्त हो चुका था। वह तो लोक सभा चुनाव के वक्त से संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह थोड़ा बहुत क्षेत्र में नजर आने लगीं। लगभग दो दशक से झरिया सीट पर एक ही परिवार का राज कायम रहने के बाद भी क्षेत्र का समुचित विकास नही हो पाना, विकास तो दूर की बात क्षेत्र के लोगों की प्यास तक नही बुझने पर भीतर ही भीतर नाराजगी की लहर चल रही है।
महाराष्ट्र और हरियाणा का चुनावी रिजल्ट आने के बाद संगठन झारखण्ड में कदम फूंक फूंक कर चल रहा है। झारखण्ड के एक एक सीट, एक एक प्रत्याशी पर गम्भीरता से चिंतन मंथन किया जा रहा है। वैसे भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री रघुवर दास हाल तक सार्वजनिक मंचों से वंशवाद और परिवार वाद की राजनीति का खुल्लम खुल्लम विरोध करते रहे हैं। अब तो देखना यह है कि भाजपा जो कहती है, वही करती है या उसके कथनी करनी में अंतर है। कोयलांचल का बाघमारा और झरिया सीट सम्भवतः कोई आश्चर्यजनक राजनीतिक उठा पटक भी दिखा सकता है।
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