मजदूरों और व्यापारियों का खूब सहयोग मिला “सूर्यदेव सिंह” को (पार्ट-4)

AJ डेस्क: यूँ तो झरिया कोयलांचल विधायक जी का “कर्म क्षेत्र” रहा ही, पूरे झरिया को उन्होंने अपना घर-परिवार माना। इसका रिटर्न भी उन्हें मिला। मजदूर वर्ग उन्हें हथेली पर रखे तो व्यापारी वर्ग हाथों हाथ उठा रखा। संघर्ष जिसे विरासत में मिला था, वह भला दूसरों के दुःख दर्द से कैसे भाग सकता था। विधायक जी हर परिस्थिति में मजदूर सम्वर्ग की हर लड़ाई में, उनके सुख दुख में कंधा से कंधा मिलाकर चलते थे।

 

 

पूर्व विधायिका एवम सूर्यदेव सिंह की धर्म पत्नी कुंती सिंह बताती हैं कि संघर्ष के दौर में विधायक जी एक पुराना ट्रक लिए। कड़ी मेहनत की। फिर दूसरा ट्रक आया। एक ट्रक ड्राइवर चलाता था तो दूसरा वह खुद चलाते थे। तीन बजे भोर में ही वह ट्रक लेकर साइड पर चल जाया करते थे। सूर्यदेव सिंह ने उस संघर्ष के दौर में 50 से अधिक ट्रक, बस ले लिया था। वहीं कुछ जानकार बताते हैं कि जब कोयला खदानें प्राइवेट थीं तो उसके मालिक सूर्यदेव सिंह की न सिर्फ इज्जत करते थे बल्कि उनकी सादगी, ईमानदारी और काम के प्रति समर्पण की भावना को देख उन्हें दिल से मानते भी थे। एक बुजूर्ग मारवाड़ी व्यापारी ने बताया कि प्राइवेट कोलियरी ऑनर ने सूर्यदेव सिंह को खुलकर सहयोग किया और उन्हें स्वालम्बी बनाया।

 

 

 

 

मजदूर और अपने क्षेत्र के लोगों, व्यापारियों की सुरक्षा के लिए सूर्यदेव सिंह ने काफी लड़ाई लड़ी। “लोटा, झोटा और सोटा” आंदोलन को कुचल कर रख दिया था सूर्यदेव सिंह ने। लाल झंडा और बाहरी-भीतरी आंदोलन को अकाल मृत्यु के दर्शन करा दिए थे विधायक जी ने। “जनता मजदूर संघ” का गठन कर एक मंच बनाया विधायक जी ने। जनता मजदूर संघ के मंच से बड़ी बड़ी लड़ाई लड़ी उन्होंने।

 

 

 

 

जनता और कोयला मजदूरों के दिल में कुछ यूँ बस गए विधायक की, आज वह “मजदूरों के मसीहा” कहला गए। आज भी कोयलांचल में जनता मजदूर संघ सबसे मजबूत श्रमिक संगठन है। आज भी सूर्यदेव सिंह की पुण्य तिथि पर हजारों मजदूर उन्हें नमन आँखों से याद कर श्रद्धा सुमन अर्पित करते है।

 

 

 

 

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