केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का 8 जनवरी को देश व्यापी हड़ताल

AJ डेस्क: केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने 8 जनवरी 2020 को देशव्यापी हड़ताल (भारत बंद) का आह्वान किया है। इस भारत बंद में देश भर के सरकारी कर्मचारी, बैंक कर्मचारी, शिक्षक, रेलवे और उद्योग क्षेत्र के कर्मचारी हिस्सा लेंगे। मोदी सरकार की श्रम विरोधी नीतियों और अपनी मांगों को लेकर मजदूर हड़ताल करेंगे। सूत्रों के मुताबिक इंडस्ट्रियल ट्रेड यूनियनों से लेकर महिलाओं और किसान, कई यूनियनें हड़ताल का हिस्सा बनने के लिए तैयार हैं। वाम दलों ने इस हड़ताल को समर्थन दिया है। सूत्रों के मुताबिक लाखों कर्मचारी हड़ताल का हिस्सा ले सकते हैं। हड़ताल पर जाने का निर्णय सरकार और यूनियनों के नेताओं के बीच वार्ता विफल होने के बाद लिया गया। सूत्रों के मुताबिक हाल ही में केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने 10 ट्रेड यूनियनों के साथ एक बैठक की, जहां उन्होंने ट्रेड यूनियन नेताओं को आश्वासन दिया कि सुधार श्रम शक्ति के कल्याण के लिए हैं। उधर यूनियनों के नेताओं का कहना है कि उनकी चिंताओं पर बैठक में चर्चा नहीं की गई थी इसलिए वे हड़ताल पर जा रहे हैं।

 

 

सूत्रों के मुताबिक बैंक कर्मचारी भी हड़ताल में शामिल होंगे। केंद्रीय, सहकारी, क्षेत्रीय ग्रामीण और भारतीय जीवन बीमा निगम, बैंक यूनियनों से संबंधित कर्मचारियों ने भी हड़ताल में शामिल होने का फैसला किया है। सूत्रों के मुताबिक इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) के अनुसार, छह बैंक यूनियन हड़ताल पर जाएंगे। इस हड़ताल में भाग लेने वाले यूनियनों में प्रमुख रूप से ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (AIUTUC), सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (CITU), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईटीयूसी),  इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (INTUC), ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन सेंटर (TUCC), हिंद मजदूर सभा (HMS), सेल्फ-एम्प्लॉइज वुमेन्स एसोसिएशन (SEWA), ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (AICCTU), लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (LPF), यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (UTUC) शामिल होंगे।

 

 

ये हैं मांग-
– हड़ताल करने वाले कर्मचारियों की मांग है कि सरकार लेबर रिफॉर्म्स प्रस्ताव को वापस ले। उनका कहना कि श्रम कानून में संशोधनों पर हमारी आपत्ति है। इस पर रोक लगनी चाहिए।
– न्यूनतम वेतन में 21,000 रुपए से 24,000 रुपये तक की बढ़ोतरी हो।
– सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण को रोकना।
– सनागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को निरस्त किया जाए।

 

 

गौर हो कि लोकसभा में पेश एक बिल में 44 श्रम कानूनों को चार कोड्स में विलय करने का प्रस्ताव है। मजदूरी, इंडस्ट्रियल रिलेशन, सामाजिक सुरक्षा और सुरक्षित कामकाजी परिस्थितियां। सूत्रों के मुताबिक इस श्रम कानूनों में संशोधन होने से नौकरी देने वाले कंपनियों को अपने कर्मचारियों को नौकरी से निकालने में आसानी हो जाएगी। सामाजिक सुरक्षा के लिए इस श्रम कोड में असंगठित क्षेत्र के 93% वर्कफोर्स को शामिल नहीं किया जाएगा। इस कोड के तहत हड़ताल को सामूहिक आकस्मिक अवकाश के रूप में परिभाषित किया गया है। किसी भी यूनियन को तभी मान्यता दी जाएगी जब उस पास 75% वर्कर्स से अधिक का समर्थन प्राप्त होगा।

 

 

 

 

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