पत्रकार लंकेश हत्याकांड का आरोपी छिपा था कतरास में, बेंगलुरु SIT ने धर दबोचा

AJ डेस्क: पत्रकार गौरी लंकेश हत्याकांड का आरोपी नंबर 18 ऋषिकेश देवडीकर उर्फ मुरली उर्फ राजेश देश की कोयला राजधानी धनबाद में पिछले 15 महीने से अपनी पहचान छिपाकर रह रहा था। इसका खुलासा तब हुआ जब बेंगलूरु की एसआईटी ने धनबाद पुलिस की मदद से कतरास इलाके में छापा मारकर ऋषिकेश को गिरफ्तार किया गया। फिलहाल बेंगलूरु एसआईटी ऋषिकेश को ट्रांजिट रिमांड पर अपने साथ बेंगलूरु ले जा रही है।

 

 

44 वर्षीय ऋषिकेश देवडीकर का नाम गौरी लंकेश हत्याकांड में अनुसंधान के दौरान सामने आया था।गौरी लंकेश हत्याकांड का यह 18वां आरोपी है। एसआईटी के अबतक के जाँच के अनुसार इस हत्याकांड में अमोल काले की भूमिका प्रमुख रही है। जबकि ऋषिकेश इस हत्यकांड में साजिशकर्ता के रूप में शामिल रहा है। इंस्पेक्टर पुनीत के नेतृत्व में धनबाद पहुंची एसआईटी को ऋषिकेश की पत्रकार हत्याकांड के अलावे चार अलग अलग मामलों में भी तलाश थी। इसके ऊपर सामाजिक संस्था से जुड़े चार लोगों की हत्या का मामला भी दर्ज है। बेंगलूरु एसआईटी इसे पिछले डेढ़ साल तलाश रही थी। और यह पिछले 15 महीनों से धनबाद के कतरास क्षेत्र में पहचान छिपाकर रह रहा था।

 

 

बेंगलुरु पुलिस ने ऋषिकेश की गिरफ्तारी मोबाइल टावर लोकेशन के आधार पर की। धनबाद के एसएसपी किशोर कौशल ने बताया कि कर्नाटक की एसआईटी टीम कल यानि गुरुवार को धनबाद पहुंची और धनबाद पुलिस से मामले में सहयोग मांगा। इसके बाद टीम ने कतरास पुलिस की मदद से कतरास के भगत मोहल्ले में छापेमारी कर ऋषिकेश देवडीकर उर्फ़ राजेश नामक शख्स को हिरासत में लिया। छापेमारी के दौरान पुलिस ने उसके कमरे की तलाशी ली। कमरे से सनातन धर्म की कुछ पुस्तकों समेत कई सामान भी जब्त किए है।

 

 

ऋषिकेश महाराष्ट्र के औरंगाबाद का निवासी बताया जाता है। उसने अलग-अलग नाम से लोगों के बीच अपनी पहचान बनाई थी, ताकि पकड़ मेंं नही आ सके। कतरास के पेट्रोल पंप जहां यह अपनी पहचान छिपाकर काम कर रहा था, वहाँ के मैनेजर उत्तम मुखर्जी ने बताया कि बेरोजगारी और अपने को साधक बताकर वह नौकरी मांगने आया था। छह सात माह से उनके यहां वह केयरटेकर के रूप में नौकरी कर रहा था। उसे यहाँ अपना नाम राजेश बताया था।

 

 

वहीं आज कर्णाटक से आई एसआईटी टीम ने गिरफ्तार देवडीकर उर्फ मुरली उर्फ राजेश को ट्रांजिट रिमांड पर अपने साथ बेंगलूरु रवाना हो रही है। इससे पहले देवडीकर का टीम ने धनबाद के पीएमसीएच में मेडिकल जांच कराया। इस दौरान सुरक्षा के खासा चाकचौबंद रहा।

 

 

बेंगलुरु की रहने वाली पत्रकार गौरी लंकेश एक सोशल एक्‍ट‍िविस्‍ट भी थी। वह कन्‍नड़ साप्‍ताहिक अखबार ‘लंकेश पत्रिके’ की संपादक थी जिसे उनके पिता पी. लंकेश ने शुरू किया था। 1962 में जन्‍मी गौरी लंकेश ने अपने करियर की शुरुआत बेंगलुरु में ‘टाइम्‍स ऑफ इंडिया’ से की थी। कुछ समय के लिए वह दिल्‍ली आईं और फिर वापस बेंगलुरु लौट गईं, जहां ‘संडे’ मैग्‍जीन और ‘इनाडु’ के तेलुगू चैनल के साथ काम किया। इसके बाद गौरी ने अपना साप्‍ताहिक अखबार ‘गौरी लंकेश पत्रिके’ का प्रकाशन शुरू किया। लंकेश पर शुरू से ही नक्‍सल समर्थक एवं हिंदुत्‍व विरोधी होने के आरोप लगते रहे हैं।

 

 

वाम समर्थक और हिंदुत्व विरोधी विचारों के लिए जानी जाने वाली 55 वर्षीय पत्रकार गौरी लंकेश की 5 सितंबर, 2017 को उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में अब तक शूटर परशुराम वाघमारे और हत्या के मास्टरमाइंड अमोल काले, सुजीत कुमार उर्फ प्रवीन और अमित देगवेकर समेत 18 लोग आरोपी हैं। हत्याकांड की जांच कर रही विशेष जांच दल (एसआईटी) ने नवंबर 2018 में बेंगलुरू की एक अदालत में एक अतिरिक्त आरोप पत्र दाखिल किया था। आरोप पत्र में कहा गया कि सतातन संस्था के भीतर एक नेटवर्क ने गौरी लंकेश को निशाना बनाया। इसमें यह भी कहा गया कि गौरी की हत्या की साजिश पांच साल से रची जा रही थी। इस संस्था पर बुद्धिजीवी एम एम कलबुर्गी, नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पानसरे की हत्या में शामिल होने का भी संदेह है।

 

 

 

 

 

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