महाराष्ट्र सरकार के निर्णय से साईं भक्तों में निराशा
AJ डेस्क: 19 जनवरी से साईं भक्त अपने आराध्य का दर्शन नहीं कर सकेंगे। अब सवाल ये है कि आखिर मामला क्या है। दरअसल महाराष्ट्र सरकार का मानना है कि परभनी जिले का पाथरी गांव साईं का जन्म स्थान था। जबकि साईं भक्तों का मानना है कि साईं का कोई निश्चित जन्म स्थान नहीं था वो कहीं से शिरडी आए थे। साईं भक्तों का कहना है कि उद्धव ठाकरे सरकार के इस फैसले से गहरी निराशा और विरोध है।
साईं बाबा संस्थान ट्रस्ट के सदस्य बी वाकचौरे का कहना है कि महाराष्ट्र सरकार के फैसले के खिलाफ वो अनिश्चित काल तक विरोध करेंगे।उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे सरकार का फैसला स्थापित मान्यता के विरोध में है। लोगों का कहना है कि किसी को यह नहीं पता है साईं बाबा कौन थे वो किस मत को मानने वाले थे। जनश्रुतियों के मुताबिक साईं शिरडी आए थे और नीम के पेड़ के नीचे ध्यान लगाते थे। वो आम लोग खास तौर से दुखी अपंग की सेवा करते थे और उनकी ख्याति चारों तरफ फैल गई थी।
Maharashtra:A call for an indefinite closure of Shirdi has been given against CM Uddhav Thackeray's reported comment calling Pathri (in Parbhani) as Sai Baba's birthplace.B Wakchaure,Saibaba Sansthan Trust member says,"We've announced to close Shirdi against rumours, from 19Jan". https://t.co/adgwG4yRnu pic.twitter.com/HclrWCZ6gy
— ANI (@ANI) January 17, 2020
स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार अगर परभनी स्थित पाथरी गांव का विकास करना चाहती है तो वो वेशक करे। लेकिन जिस तरह से पाथरी को साईं का जन्म स्थान बताया जा रहा है वो आस्था के साथ खिलवाड़ है। यह समझ के बाहर है कि सरकार आखिर ऐसा क्यों करना चाहती है। अगर कोई राजनीतिक कुचेष्टा की गई है तो उसका विरोध होगा। बता दें कि पाथरी के विकास के लिए उद्धव सरकार मे 100 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। लोगों का कहना है कि सरकार उस गांव के विकास के लिए 200 करोड़ रुपए मुहैया कराए किसी तरह की आपत्ति नहीं होगी। लेकिन सरकार को इस तरह के कृत्य से बचना चाहिए।
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