TSRDS के माइक्रो एरिगेशन फार्मूला किसानों के लिए बना वरदान, लहलहा उठे खेत

AJ डेस्क: भारत में कृषि की उपज फसलों को आपूर्ति किए जाने वाले पानी की उपलब्धता पर निर्भर करती है। ऐसे में किसानों के लिए खेती करना कितना मुश्किल होता जा रहा है ये किसी से भी छिपा नहीं है। और यदि खेती आग उगलती धरती के ऊपर करने की हो तो सब नामुमकिन सा हो जाता है। लेकिन धनबाद का झरिया, जहां की धरती पिछले एक सौ वर्षो से धधक रही उस धरती पर एक युवा किसान ने तकनीक के माध्यम से न सिर्फ खेती का रास्ता खोल दिया है बल्कि दूसरे किसानों के लिए एक मिसाल बनकर उभरे है। तो चलिए आपकों मिलाते है उस युवा किसान से जिन्होंने तकनीक के माध्यम से खेती का अद्भुत मिसाल पेश किया है।
धनबाद के जामाडोबा स्थित लोअर डुंगरी गाँव के 37 वर्षीय किसान गणेश महतो की आर्थिक स्थित पिछले साल ख़राब खेती के कारण काफी विकट हो गयी थी। गणेश के लिए कुशल जल प्रबंधन की कमी और खराब फसल की पैदावार का मतलब फिर परेशानियों के उसी चक्र में फसना था, जिसमें उसके पास सिर्फ अगले साल की आशा से खुद को सांत्वना देने के सिवा कुछ नहीं होता है। बार-बार की विफलताओं के कारण गणेश के पास अपनी कृषि विधियों को बदलने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था। उचित प्रशिक्षण और मार्गदर्शन के साथ, गणेश ने ड्रिप इरिगेशन (माइक्रो-इरिगेशन) तकनीक को अपनाना शुरू कर दिया। इस तकनीक में पौधों की जड़ों तक पानी धीरे-धीरे टपकता है। इस प्रकार इसमें पानी और पोषक तत्वों को बचाने की क्षमता होती है।
मार्गदर्शन के लिए गणेश दो साल पहले टाटा स्टील रूरल डेवलपमेंट सोसाइटी (टीएसआरडीएस) के संपर्क में आए। समय के साथ, टीएसआरडीएस से एक व्यापक विकास योजना के माध्यम से गणेश की स्थिति बेहतर होती गयी। टीएसआरडीएस ने सरकार द्वारा चलाए जा रहे कई प्रशिक्षण कार्यक्रमों से गणेश को जोड़ा, जिससे उन्हें पारंपरिक कृषि तकनीकों से अधिक प्रगतिशील और अद्यतन तकनीकों को अपनाने में मदद मिली। आज गणेश प्रगतिशील किसान समूह का नेतृत्व करते हैं। कृषि में ड्रिप इरिगेशन तकनीक के इस्तेमाल ने उनकी जिंदगी बदल दी। अपनी 1.10 एकड़ जमीन पर कई सब्जियों की खेती करते हुए गणेश आज अधिक आय अर्जित कर रहे हैं।
अपनी यात्रा को साझा करते हुए गणेश ने कहा, “पहली बार कुछ नया करने के लिए विश्वास करना हमेशा मुश्किल होता है। ड्रिप इरिगेशन तकनीक अपनाना मेरे विश्वास की एक छलांग थी और इसने मेरे लिए सब कुछ बदल दिया। मैं आज एक खुश और गौरवान्वित किसान हूं। मेरी मदद करने के लिए टाटा स्टील को धन्यवाद।” अपने आसपास के परिवेश से निरंतर समायोजन बनाने में जीवन की कला निहित है और गणेश महतो जैसे लोग परिवर्तन के वो बयार हैं, जो अन्य किसानों के लिए एक उज्जवल कल लाते हैं।
क्या है ड्रिप इरीगेशन
ड्रिप इरीगेशन (सिंचाई) तकनीक वाल्व, पाइप, ट्यूबिंग और उत्सर्जकों के एक नेटवर्क के माध्यम से पानी वितरित करने का एक माध्यम है। यह काफी अच्छी तरह से डिज़ाइन किया गया है। ये सारी चीजों पर निर्भर ड्रिप इरीगेशन प्रणाली अन्य प्रकार की सिंचाई प्रणालियों, जैसे कि सतही सिंचाई या स्प्रिंकलर सिंचाई से अधिक कुशल हो सकती है। सिंचाई की पारंपरिक तकनीकों की तुलना में ड्रिप सिंचाई से 70 प्रतिशत से अधिक पानी की बचत होती है। इससे जल उपयोग दक्षता 95 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। पारंपरिक सिंचाई प्रणाली में 50 प्रतिशत से अधिक पानी का उपयोग कुशलता से नहीं किया जाता है। जिसके परिणामस्वरूप फसल खराब होती है।
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