अभिशप्त गरीबी: धनबाद के मुख्य सड़क पर 3 दिनों से लावारिस पड़ा चोटिल व्यक्ति, सहयोग के नही बढ़ रहे हाथ (देखें वीडियो)
AJ डेस्क: धनबाद की सड़क पर लहूलुहान अवस्था में पड़े एक गरीब इंसान ने स्वास्थ्य विभाग की तमाम डपोरशंखी योजनाओं का पोल खोल कर दिया है। आयुष्मान भारत योजना तो छोड़िए 108 नंबर की गाड़ी भी उस घायल इंसान को उठाना नहीं चाहती। पीएमसीएच से लेकर धनबाद के सदर अस्पताल तक में इस इंसान के लिए जगह नहीं है। ‘कारण’ इसकी गरीबी है।
यहाँ जो हम आपकों दृश्य दिखा रहे है। वो बहुत दूर की नहीं है। धनबाद समाहरणालय से शायद आधे किलोमीटर की दूरी होगी। न्यू पार्क मार्केट, मेन रोड, हीरापुर, धनबाद, साईं फिजियोथेरेपी सेंटर के सामने। जी हां, इस गरीब का पिछले तीन दिनों से यही अडर्स यानि ठिकाना बना हुआ है। पिछले तीन दिनों से धनबाद-सरायढेला मुख्य मार्ग पर पड़ा यह घायल इंसान काफी बूरी हालत में है। शरीर पर चोट के निशान साफ़ दिख रहे है। हाथो और पैरों में काफी सूजन भी दिख रहा है। शायद इसका खून भी काफी बह चुका है। ठीक से भोजन नहीं मिलने की वजह से यह गरीब इतना कमजोर हो चुका है कि यह उठ भी नहीं पा रहा है। देख कर यह किसी विक्षिप्त इंसान की तरह लग रहा है, लेकिन यह विक्षिप्त नहीं है। यह अच्छे से बाते कर सकता है।
देखें वीडियो-
अभिशप्त गरीबी: धनबाद के मुख्य सड़क पर 3 दिनों से लावारिस पड़ा चोटिल व्यक्ति, सहयोग के नही बढ़ रहे हाथ pic.twitter.com/FS8lcgSJ9K
— analjyoti.com (@AnaljyotiCom) February 9, 2020
आस-पास के दुकानदारों के रहमो कर्म पर पिछले शुक्रवार से जी रहा यह घायल गिरिडीह का रहने वाला है और इसनके अपना नाम अजय कुमार बताया। इसनके बताया कि यह शुक्रवार की शाम इस सड़क को पार करने की कोशिश कर रहा था। तभी एक ऑटो वाले नई इसे धक्का मार दिया और उल्टा इसे ही बुरा भला कहते हुए वहाँ से फरार हो गया। इसके बाद इसे सड़क पर ही बेहोसी आ गई। आस-पास के दुकानदारों ने तत्काल 108 को फोन लगाया लेकिन उसने बताया कि यह गाड़ी राह चलते भिखमंगो के लिए नहीं है। इसके बाद लोगों ने इसे सड़क से उठा कर बगल के दूकान के पास रख दिया।
दुकानदार ईश्वर प्रसाद ने बताया कि यह पिछले तीन दिनों से यहाँ पड़ा है। दिन प्रति दिन इसकी हालात खराब होती जा रही है। जीन्होंने बताया कि इसके इलाज के लिए इन्होंने पीएमसीएच को भी सूचना दी, लेकिन वहाँ से भी इन्हें कोई संतोष जनक जवाब नहीं मिला। उन्होंने बताया कि दुकानदारों की मदद से किसी तरह इसे कुछ खिला-पिला कर जीवित रखे हुए है, लेकिन कब तक? इसे इलाज की जरुरत है, लेकिन यहाँ की सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था इसके इलाज के लिए न बोल चुकी है। ऐसा में दुकानदारों को अब जिला के आलाधिकारियों से ही किसी मदद की उम्मीद है।
मुकेश कुमार बताते है कि ये गरीब है, लाचार है, लेकिन है तो एक इंसान। सरकारी योजना इन्ही गरीबो के लिए तो बनी है। तो इन्हें ही देख कर वो अपना मुंह कैसे मोड़ सकते है। इसके लिए भी क्या सरकार से गुहार लगानी पड़ेगी। आखिर यहाँ की स्वास्थ्य विभाग किसके लिए काम करती है।
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