तारीख पे तारीख: निर्भया कांड के दोषियों को अब 20 मार्च की सुबह होगी फांसी

AJ डेस्क: निर्भया के साथ दरिंदगी के सभी चार दोषियों को फांसी के लिए कोर्ट ने नया डेथ वारंट जारी किया है। यह दोषियों को फांसी देने के लिए कोर्ट की ओर से जारी किया गया चौथा डेथ वारंट है। इस नए वारंट के अनुसार, अब निर्भया के दोषियों को 20 मार्च को सुबह 5:30 बजे फांसी दी जाएगी। जानकारों के मुताबिक, दोषियों के सभी कानूनी अधिकार समाप्‍त हो गए हैं, जिससे देखते हुए उन्‍हें 20 मार्च को फांसी दिया जाना तय माना जा रहा है।

 

 

चौथा डेथ वारंट-

यह चौथी बार है, जब निर्भया के दोषियों के लिए कोर्ट ने डेथ वारंट जारी किया है। इससे पहले दोषियों के लिए तीन डेथ वारंट जारी किए जा चुके हैं, लेकिन दोषियों की पैंतरेबाजी के कारण यह हर बार टलता रहा है। दोषियों की ओर से बारी-बारी से अपने कानूनी अधिकारों के इस्‍तेमाल का पैंतरा अपनाया गया, जिसके कारण हर बार उनकी फांसी टलती रही। अब उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार दोषियों को फांसी देने की तारीख अंतिम होगी।

 

 

क्‍या बोली निर्भया की मां?

कोर्ट की ओर से दोषियों के लिए नया डेथ वारंट जारी होने के बाद निर्भया की मां ने उम्‍मीद जताई कि यह आखिरी बार होगा और इस तारीख पर दोषियों को फांसी दी जाएगी। उन्‍होंने यह भी कहा कि 20 मार्च की सुबह उनके जीवन का सवेरा होगा, जब दोषियों को फांसी दी जाएगी। उन्‍होंने यह भी कहा कि निर्भया ने मरने से पहले उनसे बार-बार कहा था कि दोषियों को ऐसी सजा मिलनी चाहिए कि फिर कभी कोई इस तरह की वारदात करने के बारे में सोचे भी नहीं।

 

 

क्‍या फिर टल सकती है फांसी?

इस बीच, जानकारों का कहना है कि दोषियों ने अपने सभी कानूनी अधिकारों का इस्‍तेमाल कर लिया है और अब उनके पास कोई विकल्‍प नहीं है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के निर्णयों का हवाला देते हुए कुछ कानूनी जानकारों का यह भी कहना है कि दोषियों के पास भी संविधान के अनुच्‍छेद 21 के तहत आखिरी सांस तक जीवन का अधिकार होता है, जिसके मद्देनजर फांसी को लटकाने और टालने के लिए वे आगे भी कई याचिकाएं दायर कर सकते हैं।

 

 

7 साल पहले हुई थी दरिंदगी-

पैरामेडिकल छात्रा निर्भया के साथ 16 दिसंबर, 2012 को इन चारों ने दरिंदगी की थी, जब वह रात 9 बजे के बाद घर लौट रही थी। एक निजी बस में उसके साथ दरिंदगी हुई थी, जिसमें बस ड्राइवर राम सिंह भी शामिल था। उसके साथ इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली वारदात को अंजाम देने वालों में एक नाबालिग भी था, जिसे मामूली सजा देकर छोड़ दिया गया, जबकि राम सिंह ने तिहाड़ जेल में खुदकुशी कर ली थी।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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