सत्ता के साथ “कोयला के गोरखधंधा” करने वाले “सरताज” का भी चेहरा बदलता रहा है
AJ डेस्क: कोयलांचल का अवैध कोयला कारोबार का जगत गवाह है कि जब जब सूबे में सत्ता बदलता है। इस जगत के “सरताज” का भी चेहरा भी बदलते रहा है। अभी फिर ऐसा ही कुछ देखने-सुनने को मिल रहा है। जी टी रोड पर सिर्फ एक खिलाड़ी की तूती बोल रही है। बाकि सब हैरान, परेशान हैं।
धनबाद कोयलांचल की पहचान ही कोयले से है। यहां एक नम्बर के साथ दो नम्बर का खेल भी होता है। कोई सिर्फ एक नम्बर पर निर्भर होता है तो कोई एक में दो नम्बर का मिश्रण कर अपना तिजोरी भरता है। इससे अलग भी एक वर्ग है जो सिर्फ और सिर्फ दो नम्बर के कारोबार पर ही पूरी तरह निर्भर होता है। जानकार बताते हैं कि लॉक डाउन की अवधि एक या दो सभी जिला प्रशासन के फरमान का पालन कर रहे हैं।
इससे एक अलग वर्ग भी है जो प्रतिदिन सुबह सुबह पांच दस बोड़ा कोयला चोरी कर उसे बेचता है तो उसके घर का चुल्हा जलता है। इस वर्ग की बात छोड़ दिया जाए।
“घायल” हैं अन्य कोयला कारोबारी। वह समझ नही पा रहे कि आखिर उक्त व्यापारी कहाँ और किसे कौन सी जड़ी बूटी सुंघा दिया है। उसने कौन से कला से किसे “कायल” कर दिया है कि लॉक डाउन की अवधि में सोशल डिस्टेंसिंग से लेकर अन्य सभी नियमो की बखिया उघेड़ धड़ल्ले से कोयला का काम कर रहा है। धनबाद कोयलांचल के कोयला कारोबार जगत में अकेला डंका पीट काम करने वाले इस खिलाड़ी के पीठ पर आखिर किसका हाथ है। झारखण्ड में बदले सत्ता के गलियारे में आखिर उक्त व्यापारी को किसका वरदहस्त प्राप्त है। यहां पुलिस प्रशासन लॉक डाउन, कर्फ्यू, कोरोना के खिलाफ छिड़ी जंग में दिन रात मोर्चा सम्भाले हुए है तो “घायल और कायल” का खेल धड़ल्ले से जारी है।
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