“काबिले तारीफ”: कोरोना काल में भी ‘प्रतिभा’ की बेबसी पर पड़ी नजर, DC ने किया सहयोग
AJ डेस्क: कोरोना काल। क्वारें टाइन सेंटर। कोविड 19 हॉस्पिटल। पॉजिटिव मरीज। कर्फ्यू और लॉक डाउन का अनुपालन कराने से लेकर अन्य ढेर सारी जिम्मेवारियां। इस बीच सोशल मीडिया में तीरंदाज सोनू खातून की बेबसी, पैसे के अभाव में टूटा तीर नही खरीदने की लाचारी। घर के सदस्यों का पेट पालने के लिए सब्जी बेचने की मजबूरी की खबर आती है। धनबाद के उपायुक्त अमित कुमार ने 24 घण्टे के भीतर सोनू खातून को 20 हजार रु का आर्थिक सहयोग देकर निःसन्देह काबिले तारीफ काम किया है।
धनबाद जिला में प्रतिदिन कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ते जा रही है। स्वभाविक है प्रशासनिक महकमा की परेशानी भी बढ़ते जा रही है। भागमभाग की जिंदगी के बीच धनबाद के उपायुक्त ने आज झरिया कोयलांचल के जेलगोड़ा क्षेत्र में रहने वाली सोनू खातून को समाहरणालय बुलाकर उसे 20 हजार रूपये का चेक सौंपा। उपायुक्त अमित कुमार ने यह राशि तीर खरीदने के लिए दी है ताकि तीरंदाज में नेशनल तक खेलने वाली सोनू की प्रतिभा तीर के अभाव में धूमिल न हो जाए। तीरंदाज सोनू के हाथ साग सब्जी बेचने की तराजू तक न जकड़ जाए।

अब तीरंदाज सोनू के गुजरे कल के बारे में भी जान लें-
सोनू ने बताया कि वर्ष 2011 में 56वे राष्ट्रीय विद्यालय तीरंदाजी प्रतियोगिता में उसने पुणे में भाग लिया था। जिसमें उसने कांस्य पदक हासिल किया। इसके बाद 2015-16 तक राज्य स्तर की कई प्रतियोगिताओं में भाग लेती रही। इस दौरान उसने कई पदक जीते, लेकिन इस बीच उसका धनुष टूट गया और इसके साथ उसके सारे सपने भी। सोनू अभ्यास करने से वंचित रह गई। दूसरी जगह भी अभ्यास करने नहीं जा पा सकी, क्योंकि सोनू के परिवार के पास पैसे की काफी किल्लत थी। सोनू ने बताया कि पिता मजदूरी करते हैं। जिससे मामूली आय होती है। भाई नहीं है घर में तीन बहन और माता पिता हैं। सर छुपाने के लिए बीसीसीएल का घर है। जिसका किराया देना पड़ता है। उसने बताया कि लॉक डाउन में पिता के बेरोजगार होने के कारण सोनू अपना परिवार चलने के लिए जियलगोरा स्टेडियम के बहार सड़क पर सब्जी बेच कर गुजरा कर रही है।
सोनू ने बताया कि दसवीं के बाद पैसे की कमी के कारण पढ़ाई छोड़नी पड़ी। बड़ी बहन आगे की पढ़ाई (पीजी) कर रही है और छोटी बहन इंटर में है। दोनों का खर्च वहन करना पड़ता है। जो सिर्फ पिता की कमाई से नही हो पाता था। लॉक डाउन में पैसे की कमी होने के कारण दूसरे के घर में चौका-बर्तन कराती थी। अब सब्जी बेचना पड़ता है।
सोनू की मां शकीला खातून कहती है सोनू पहले अच्छी आर्चरी खिलाड़ी थी और उसपर हमें गर्व था, मगर सोनू के धनुष टूटने के बाद हमलोगो ने मदद के लिए पूर्व खेल मंत्री अमर बाउरी से भी गुहार लगाई थी। मंत्री जी ने आश्वासन दिया था, मगर आज तक कोई मदद नहीं मिला। जिसके कारण सोनू खेल के मैदान से दूर होती गई। अब अपने घर को चलाने के लिए और पिता का काम बन्द होने के कारन जियलगोरा स्टेडियम के बहार सड़क पर सब्जी बेच रही है।
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