हाथी मेरे साथी: अख्तर ने अपनी पांच करोड़ की सम्पति बेटे के बजाय ‘दोनों हाथी’ के नाम लिख डाला

AJ डेस्क: कुछ समय से देश के अलग-अलग हिस्सों से जानवरों के साथ हैवानियत की ख़बरें सामने आ रही हैं। इसी बीच पटना से सटे दानापुर के जानीपुर में रहने वाले एक शख्स ने इंसानियत की मिसाल कायम की है। अख्तर इमाम नाम के शख्स ने अपनी 5 करोड़ की जायदाद बेटे की बजाय अपने दो हाथियों के नाम कर दी है।

 

 

50 साल के अख्तर इमाम का कहना है कि उनका बेटा गलत रास्ते पर चला गया था, इसलिए उन्होंने उसे जायदाद से बेदखल कर दिया। उन्होंने अपनी आधी संपत्ति पत्नी के नाम कर दी और अपने हिस्से की जायदाद और खेत-खलिहान, मकान, बैंक बैलेंस सब कुछ हाथियों को सौंप दिया है। उन्होंने रजिस्ट्री ऑफिस जाकर दोनों हाथियों के नाम डॉक्‍यूमेंट भी बनवा लिए हैं। उन्होंने कहा कि ये दोनों हाथी ही उनका परिवार हैं।

 

 

बेटे ने किया था यह अपराध-

बताया जा रहा है कि इमाम के बेटे मेराज ने जायदाद के चक्कर में अपनी प्रेमिका के साथ दुष्कर्म का झूठा आरोप लगाकर पिता को ही जेल भिजवा दिया था। अख्तर ने यह भी कहा कि उनके बेटे ने हाथियों को बेचने के लिए पशु तस्करों से सौदा किया था, लेकिन वह पकड़ा गया। इसलिए अब उन्होंने अपनी पूरी जायदाद हाथियों के नाम करने का फैसला किया।

 

 

यदि हाथी नहीं तो संपत्ति भी नहीं-

इमाम ने कहा कि यदि हाथी न रहे तो परिवार के किसी सदस्य को कुछ नहीं मिलेगा। उन्होंने बताया कि यदि उन्हें कुछ हो जाता है तो यह सारी संपत्ति ऐरावत संस्था के नाम हो जाएगी। इससे इन हाथियों को तस्करों से बचाया जा सकेगा और इस तरह इन हाथियों का संरक्षण भी हो सकेगा।

 

 

हाथी ने बचाई थी इमाम की जान-

दोनों हाथियों के लिए अपना सब कुछ दान करने वाले अख्तर इमाम ऐरावत संस्था के मुख्य प्रबंधक हैं। वह 12 साल की उम्र से ही हाथियों की सेवा कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जब एक बार किसी ने उन पर जानलेवा हमला करने की कोशिश की थी, तब हाथी ने ही उन्हें बचाया था। इन्होंने अपना पूरा जीवन हाथियों के लिए ही समर्पित किया हुआ है। उनके ऐसे कामों को देखकर लोग इमाम को हाथियों वाला कहकर बुलाते हैं।

 

 

 

 

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