चीन सीमा विवाद की बैठक में मोदी के एक बयान पर विवाद शुरू
AJ डेस्क: चीन सीमा विवाद को लेकर शुक्रवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में पीएम मोदी के एक बयान पर विवाद खड़ा हो गया है। जिसके बाद अब प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने सफाई दी है। भारत सरकार ने एक बयान जारी किया है।
सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उन टिप्पणियों पर स्पष्टीकरण जारी किया है कि कोई भी भारतीय क्षेत्र में नहीं घुसा और न ही किसी भारतीय चौकी पर कब्जा किया गया। शनिवार को प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में साफ किया गया है कि चीन ने कोशिश तो की थी लेकिन हमारे सैनिकों ने बलिदान देकर ढांचागत निर्माण और अतिक्रमण की कोशिशों को नाकाम कर दिया।
पीएमओ ने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसे समय में प्रधानमंत्री की टिप्पणियों पर अनावश्यक विवाद पैदा किया जा रहा है जब वीर सैनिक हमारी सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं। जारी बयान में PMO ने साफ किया कि भारत सरकार LAC पर किसी भी तरह के बदलाव की अनुमति नहीं देगी। इसके साथ ही भारत की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा के लिए भारतीय सेना हर जरूरी कदम उठाएगी।
पीएमओ ने कहा कि ‘सर्वदलीय बैठक में राष्ट्रीय संकट के समय सरकार और सशस्त्र बलों के प्रति अपार समर्थन मिला। हमें विश्वास है कि प्रोपगैंडा के जरिये भारतीय लोगों की एकता को कम आंकने का प्रयास नहीं किया जाएगा। बयान में कहा है कि ‘सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्रीकी टिप्पणियां गलवान में 15 जून को हुई घटनाओं पर केंद्रित थी, जिसमें 20 सैनिकों को जान गंवानी पड़ी थी। पीएम की टिप्पणी इस संदर्भ में थी कि हमारे सशस्त्र बलों की बहादुरी के बाद एलएसी पर हमारी सीमा के भीतर कोई चीनी मौजूदगी नहीं थी।
पीएमओ की ओर से जारी बयान में ये भी कहा गया है सर्वदलीय बैठक में ये स्पष्ट कर दिया गया था कि सरकार लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) में कोई एकतरफा बदलाव नहीं होने देगी। बात दें कि पीएम मोदी के बयान के बाद राहुल गांधी सहित विपक्ष के कई नेताओं ने सवाल उठाया था कि यदि चीन ने घुसपैठ नहीं किया था तब सैनिकों की शहादत हुई कैसे?
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