POK के एयरबेस पर भारत की पैनी नजर, चीन तैनात किया है SU 27

AJ डेस्क: पिछले हफ्ते स्कार्दू में एक चीनी रिफ्यूलर विमान के उतरने के बाद से भारत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में एयरबेस पर कड़ी नजर रख रहा है। इसके अलावा चीन की हवाई गतिविधि भी पूर्वी लद्दाख के विपरीत बढ़ गई है, जिससे से यह संभावना बढ़ती है कि चीन की वायु सेना पीओके में एयरबेस का इस्तेमाल कर सकती है।

 

 

ऑनलाइन मीडिया के मुताबिक, चीन के साथ बढ़ते गतिरोध के बाद से ही भारतीय वायु सेना अब कई हफ्तों से अलर्ट पर है और आपूर्ति और सैनिकों को लद्दाख ले जाने के लिए व्यापक मिशन चलाए गए हैं।

 

 

चीन ने होटन एयरबेस पर तैनात किए SU 27-

इसके अलावा, चीनी वायु गतिविधि भी काफी बढ़ गई है। माना जा रहा है अतिरिक्त SU 27 लड़ाकू विमानों को शिनजियांग के होटन एयरबेस में तैनात किया गया है। उनकी कड़ी निगरानी की जा रही है और उनकी तैनाती के पीछे भारत-चीन के विवाद को कारण माना जा रहा है।

 

 

भारत को अपनी लोकेशन से मिल सकता है फायदा-

PLAAF के पास तिब्बत में और उसके आसपास कई एयरबेस हैं, जिनमें होटन हाउसिंग सबसे लड़ाकू एयरबेस है, लेकिन उसके साथ एक समस्या यह भी है कि वो अधिकांश 4,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर स्थित है, जिससे लड़ाकू विमानों के लिए पूर्ण हथियारों के भार और ईंधन के साथ उड़ान भरना मुश्किल हो जाता है। वहीं दूसरी ओर, कई भारतीय एयरबेस, पंजाब और हरियाणा के मैदानी इलाकों में स्थित हैं, जिससे उन्हें इस मामले में बढ़त मिलती है।

 

 

PoK के एयरबेस को चीन कर सकता है इस्तेमाल-

इसके बावजूद भी भारत को सावधान रहने की काफी जरूरत, क्योंकि संघर्ष के समय में, PoK में इस एयरबेस को चीन को सौंपा जा सकता है। सूत्रों ने कहा कि स्कार्दू एयरबेस पर सीमित गतिविधि देखी गई है, और कुछ दिनों पहले पाकिस्तान वायु सेना के परिवहन विमान के अलावा, PLAAF का एक IL 78 टैंकर वहां उतरा था। स्कर्दू लेह एयरबेस से सिर्फ 100 किमी दूर स्थित है और हाल ही में पाकिस्तान ने इसका विस्तार भी किया है।

 

 

दो सालों में तिब्बत में बढ़ी हवाई गतिविधि-

पिछले दो सालों में तिब्बत में चीन की तरफ से हवाई गतिविधियों में काफी बढ़ोतरी हुई है। जबकि PLAAF पहले अपने लड़ाकू विमानों को केवल गर्मियों में ही आगे के ठिकानों पर तैनात करता था।

 

 

पैंगोंग त्सो के पास एयरबेस को किया जा रहा अपग्रेड-

हाल की सैटेलाइट इमेज से पता चला है कि पैंगोंग त्सो झील से लगभग 200 किमी दूर स्थित एक अन्य एयरबेस को भी अपग्रेड किया जा रहा है, इस साल मई तक वहां काम चला है।

 

 

 

 

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