रिएक्शन: ‘मैं राजधानी एक्स—–‘, पाठक की प्रतिक्रिया- “गर्व करें या शर्म—-?”

AJ डेस्क: सिर्फ एक महिला यात्री की जिद्द को पूरा करने के लिए रेलवे प्रशासन ने अपने कर्तव्य का निर्वहन कर दिया। भले ही उसे ट्रैन को बेवजह लम्बी दूरी तक चलाना पड़ा और महिला यात्री की सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम भी करना पड़ा। “अनल ज्योति” के एक सुविज्ञ पाठक डॉ संजय मिश्रा ने इस खबर को पढ़ने के बाद अपनी प्रतिक्रिया भेजी है। हम उसे यथावत प्रकाशित कर रहे हैं।

 

 

इन पर गर्व करें या शर्म….?

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में एलएलबी की पढ़ाई करने वाली इस युवती का नाम अनन्या है और वह पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन रेलवे स्टेशन पर रांची के लिए नई दिल्ली-रांची स्पेशल राजधानी एक्सप्रेस में सवार हुई थी। लातेहार जिले के टोरी में टाना भगतो के रेलवे ट्रैक पर चल रहे आंदोलन के कारण डालटनगंज में ही ट्रेन को रोक दिया गया था।

 

 

रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने ट्रेन को डालटनगंज में ही रोककर बसों से यात्रियों को रांची भेजने का आदेश दिया। उनके निर्देश के बाद यात्रियों को बसों से भेजने की व्यवस्था की गई। ट्रेन के 930 यात्रियों में से 929 यात्री बसों से अपने गंतव्य के लिए रवाना हो गए मगर अनन्या ट्रेन से ही रांची जाने पर अड़ गई।

 

 

अनन्या के अड़ जाने के बाद रेल अधिकारियों ने उसे कार से रांची भेजने का प्रस्ताव रखा मगर अनन्या अपनी जिद पर अड़ी रही। उसका कहना था कि जब टिकट कटाया है तो राजधानी एक्सप्रेस से ही रांची जाएगी। ट्रेन में सिर्फ एक महिला यात्री होने के कारण आरपीएफ की कई महिला सिपाहियों की तैनाती भी करनी पड़ी।

 

 

अनन्या ने कहा कि टिकट कटाने के बाद मुझे रांची तक पहुंचाना आप लोगों की जिम्मेदारी है और रेलवे इस जिम्मेदारी से बच नहीं सकता। गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचने के बाद अहंकार से भरी अनन्या ने मीडिया से शिकायत करते हुए कहा कि डालटनगंज में ट्रेन को घंटों खड़ा रखा गया जिससे उसे काफी परेशान होना पड़ा। अनन्या का कहना था कि पूरा मामला मिस मैनेजमेंट का है यही नहीं उसने ट्रेन की रफ्तार, सफाई बंदोबस्त और खानपान पर भी सवाल उठाए।

 

 

इस महिला को अपने अधिकार तो ध्यान रहे पर वो भूल गई की इस राष्ट्र के प्रति उनके कुछ उत्तरदायित्व भी है, काश इन्होंने अपनी इस कथित “बहादुरी” का उपयोग राष्ट्र को खोखला कर रही समस्याओं को उठाने में किया होता तो देश ही नहीं बल्कि में वे सम्मान कि दृष्टि से देखी जाती…..। धिक्कार है….।

 

 

 

 

 

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