बिहार चुनाव: भोजपुरी में बोले PM मोदी- ‘लालटेन के जमाना गईल’

AJ डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को सासाराम रैली से अपनी चुनावी सभा का आगाज कर दिया। अपने पहले चुनावी भाषण से पीएम मोदी ने अपना इरादा स्पष्ट कर दिया कि वह अपनी रैलियों में महागठबंधन पर तीखा हमला बोलने वाले हैं। प्रधानमंत्री ने राजद और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि इन दलों के शासन में राज्य की तरक्की नहीं हुई। पीएम ने कहा कि बिहार के लोगों ने तय कर लिया है कि वे बीहार को ‘बीमारू’ बनाने वाले लोगों को इस बार सत्ता में आने का मौका नहीं देंगे। इस चुनावी रैली की शुरुआत प्रधानमंत्री ने भोजपुरी में की। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की चर्चा करने वाले सियासी दलों पर पीएम ने जमकर हमला बोला।

 

 

जब भोजपुरी में बोले पीएम-

भोजपुरी में अपनी बात रखते हुए पीएम ने कहा, ‘लालटेन के जमाना गईल, भारत के दिल बाटे बिहार, सम्पूर्ण क्रांति के जयघोष बा बिहार, भारत के स्वाभिमान बाटे बिहार, बिहार के जवान गलवान आ पुलवामा में बलिदान भइलें लेकिन भारत माता के शीश ना झुके देहलें, हम उनका श्रद्धांजलि दे तानी।’ पीएम का संबोधन भोजपुरी में सुनने पर वहां रैली में उपस्थित लोग गदगद हो गए।

 

 

कुछ दलों ने बिहार को पिछड़ा बनाकर रखा-

पीएम ने कहा कि बिहार में कभी शासन करने वाले लोगों की नजर एक बार फिर इस राज्य पर है लेकिन बिहार के लोग ये नहीं भूलेंगे कि कैसे इन लोगों ने राज्य को पिछड़ा बनाए रखा। राज्य में एक समय कानून-व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं थी। भ्रष्टाचार का बोलबाला था। सरकारी नौकरियां पैसे लेकर दी जाती थीं। अनुच्छेद 370 वापस लाने की चर्चा करने वाले सियासी दलों पर निशाना साधते हुए पीएम ने कहा कि देश अपने फैसले से पीछे नहीं हटेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि अनुच्छेद 370 की वापसी की चर्चा करने वाले गलवान घाटी में शहादत देने वाले जवानों का अपमान कर रहे हैं।

 

 

पीएम ने ‘जंगलराज’ का जिक्र किया-

पीएम ने कहा, ‘बिहार के सपूत गलवान घाटी में तिरंगे के खातिर शहीद हो गए, लेकिन भारत मां का माथा नहीं झुकने दिया। पुलवामा हमले में भी बिहार के जवान शहीद हुए, मैं उनके चरणों मे शीश झुकाता हूं और उन्हें श्रद्धांजलि देता हूं।’ राजद पर निशाना साधते हुए पीएम ने कहा कि वो भी दिन थे जब सरकार चलाने वालों की निगरानी में दिन-दहाड़े डकैती होती थी, हत्याएं होती थीं, रंगदारी वसूली जाती थी। वो भी एक समय था जब घर की बिटिया, घर से निकलती थी, तो जब तक वापस न आ जाए माता-पिता की सांस अटकी रहती थी।

 

 

 

 

 

 

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