टाटा स्टील : हजारों छात्रों के बीच ग्रीन स्कूल प्रोजेक्ट के लिए जागरूकता पहुंचाया

AJ डेस्क: टाटा स्टील अपने प्रमुख ग्रीन स्कूल प्रोजेक्ट के तहत जलवायु परिवर्तन और टिकाऊ विकास मॉडल के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए पिछले आठ महीनों में 7,300 से अधिक विद्यार्थियों और शिक्षकों तक पहुंच चुका है। जलवायु परिवर्तन के पर्यावरणीय प्रभावों को दूर करने के लिए वैश्विक रणनीति में जलवायु शिक्षा और जागरूकता एक महत्वपूर्ण साधन है।

 

 

स्कूल समुदाय तक पहुंचने में महामारी से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए टाटा स्टील ने इस आउटरीच प्रोग्राम को जारी रखने और ग्रीन योद्धाओं से जुड़ने के लिए वेब प्लेटफॉर्म, मोबाइल एप्लिकेशन और सोशल मीडिया जैसे डिजिटल प्लेटफार्मों का लाभ उठाया। ऑनलाइन पहल में वर्चुअल सेमिनार व प्रशिक्षण कार्यशालाएं, डिजिटल प्रतियोगिताएं, ऑडियो-वीडियो लर्निंग कैप्सूल के रूप में सेल्ट-लर्निंग सीरीज समेत और भी बहुत कुछ शामिल था।

 

‘द ग्रीन स्कूल प्रोजेक्ट’ टाटा स्टील और टीईआरआई (टेरी) की एक संयुक्त पहल है, जिसमें एक प्रभावी टूल के रूप में जलवायु साक्षरता का उपयोग करते हुए बदलाव लाने के लिए स्कूल बिरादरी को शामिल किया गया है। यह शिक्षण के औपचारिक और अनौपचारिक मोड के माध्यम से महत्वपूर्ण और अंतःविषय सोच को बढ़ाने के लिए पर्यावरणीय नेतृत्व को प्रोत्साहित करता है। यह प्रोजेक्ट झारखंड और ओडिशा में टाटा स्टील के परिचालन क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर विभिन्न स्कूलों में कार्यान्वित किया जा रहा है। अपनी स्थापना के बाद से इसने 1.5 लाख से अधिक विद्याथि्र्ायों, शिक्षकों और सामुदायिक सदस्यों के जीवन को स्पर्श किया है।

 

 

पंकज सतीजा, चीफ, रेगुलेटरी अफेयर्स, टाटा स्टील ने कहा, “आने वाली पीढ़ियों के लिए एक न्यायसंगत और हरित भविष्य बनाने के लिए आवश्यक परिवर्तनकारी बदलाव लाने के मूल में लोग हैं। एक सस्टेनेबल इकोसिस्टम और ‘एक्ट फॉर नेचर’ के लिए समुदाय के सभी वर्गों, जैसे- कॉरपोरेट्स, गैर-सरकारी संगठनों, सरकार और विशेष रूप से विद्यार्थियों को एक साथ आने और समग्र दृष्टिकोण अपना कर सस्टेनेबल कल की दिशा में काम करने की जरूरत है।”

 

 

विद्यार्थियों और शिक्षकों ने समाज में बदलाव लाने के लिए होमबाउंड ‘कम्युनिटी इम्पैक्ट प्रोजेक्ट्स’ जैसे- कागज़ के बैग बनाना, कचरे से काम की वस्तुएं निकालना, पक्षियों के घोंसले और पक्षी के फीडर की स्थापना आदि से शुरुआत की। नोआमुंडी, जोडा, जाजपुर, झरिया और वेस्ट बोकारो में 20 प्रोजेक्ट स्कूल और 6 पंचायत के 36 स्कूलों के साथ आंगुल के 6 प्रोजेक्ट स्कूलों ने इन सामुदायिक प्रभाव परियोजनाओं को लागू किया।

 

 

नोआमुंडी में टाटा डीएवी पब्लिक स्कूल के शिक्षक प्रदिप्ता कुमार दास ने कहा, “मुझे ऑनलाइन गतिविधियों के अपने अनुभव को साझा करने में बेहद खुशी महसूस होती है। जिस तरह से महामारी की स्थिति में टेरी विद्यार्थियों और शिक्षकों के साथ गतिविधियों का संचालन कर रहा है, वह निस्संदेह काफी सराहनीय है। इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए छात्र-छात्राएं बेहद तत्पर और उत्साहित हैं। वे प्रोजेक्ट में दिल और आत्मा के साथ हिस्सा ले रहे हैं। इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों और शिक्षकों को शामिल करने के इस तरह के अभिनव तरीके के लिए मैं टाटा स्टील और टेरी का शुक्रगुजार हूं। इस प्रोजेक्ट का एक हिस्सा होने के नाते, मैं गर्व और खुशी महसूस करता हूं। यह विद्यार्थियों, शिक्षकों और पर्यावरण के लिए बहुत उपयोगी होगा।”

 

 

ग्रीन स्कूल प्रोजेक्ट के तहत डिज़ाइन किया गया ‘ग्रीन पेडागॉजी’ भविष्य के परिदृश्यों के लिए प्रणालीगत सोच, सहभागी शिक्षा और रचनात्मक सोच विकसित करने के उद्देश्य से संचालित होता है।

 

 

छात्र-छात्राओं के बीच जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूकता और एक सस्टेनेबल जीवन शैली का निर्माण करने के लक्ष्य के साथ ग्रीन स्कूल प्रोजेक्ट अप्रैल 2017 में चुनिंदा स्कूलों के साथ शुरू किया गया था, ताकि जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने में मदद मिल सके।

 

इस लक्ष्य को यह क्लास और आउटडोर, दोनों गतिविधियों के माध्यम से पर्यावरणीय प्रतिभा को बढ़ावा दे कर प्राप्त किया जा रहा है। इन गतिविधियों में डिजिटल अध्यापन-कला पर शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशालाएं, ग्रीन कोर्स (पाठ्यक्रम) का विकास, सामुदायिक प्रभाव परियोजनाएं, बाहरी शैक्षिक गतिविधियाँ, सीखने की आनंदपूर्ण गतिविधियों के लिए सूचनात्मक शिक्षा और संचार (ईआईसी) संसाधनों का विकास आदि शामिल है। सितंबर 2019 में और अधिक स्कूलों तक विस्तार करने के लिए प्रोजेक्ट का तीसरा चरण शुरू किया गया था।

 

 

 

 

 

 

‘अनल ज्योति’ के फेसबुक पेज से जुड़ने के लिए अभी इस लिंक पर क्लिक करके लाइक👍 का बटन दबाए…

https://www.facebook.com/analjyoti.in/?ti=as

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Article पसंद आया तो इसे अभी शेयर करें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »