गणतंत्र दिवस का उत्साह चरम पर, वहीं स्वतन्त्रता सेनानी का परिवार भुखमरी के कगार पर

AJ डेस्क: देश में 72वें गणतंत्र दिवस को लेकर खास तैयारी की जा रही है। हर खास और आम इसके जश्न की तैयारियों में जुटा हुआ है। इस बीच देश की आजादी में भूमिका निभाने वाले एक स्वतंत्रता सेनानी का परिवार आज दाने-दाने को मोहताज है। हम बात कर रहे हैं स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय अनूप लाल पासवान की। जिनकी दूसरी पीढ़ी बेहद गरीबी और कड़े संघर्ष में अपनी जिंदगी बिता रहा है। हालांकि, अधिकारियों को जब इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने सहयोग का आश्वासन दिया है।

 

 

स्वतंत्रता सेनानी के परिवार का हाल-

स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय अनूप लाल पासवान का परिवार मनिहारी के अनुमंडल वार्ड नंबर 15 स्थित सिमबुडी गांव में रहता है। उनके तीन बेटे हैं। बड़े बेटे का नाम इंद्रजीत पासवान, जो कि गोताखोर का काम करते हैं। दूसरे बेटे कुंवरजीत मजदूरी का काम करते हैं। वहीं, तीसरे बेटा अमर सिंह पासवान रिक्शा चलाकर अपने परिवार का पेट पालते हैं।

 

 

 

बेटे ने बताया पिता ने कैसा छुड़ाए अंग्रेजों के छक्के-

इंद्रजीत कहते हैं 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में उनके पिता ने हिस्सा लिया था। उस समय मनिहारी स्टेशन की रेल पटरी उखाड़ने, थाना-पोस्ट ऑफिस के दस्तावेज जलाने, मनिहारी गंगा तट के पास तीन जहाज में जमा अंग्रेजों की रसद लूटने और नदी में बहाने के आरोप में उनको 5 साल से अधिक की जेल हुई थी। उन्होंने बताया कि उनके पिता ने जेल की सजा काटी थी, जिसका दस्तावेज आज भी मौजूद है। इसी को लेकर उनके पिता को भारत सरकार ने ताम्रपत्र से भी सम्मानित किया।

 

 

 

परिवार को मिला मदद का भरोसा-

हालांकि, परिजनों ने आरोप लगाया कि उनके पिता के जीवित रहने के दौरान उनको पेंशन के अलावा और कुछ भी नहीं मिला है। अब पिताजी के स्वर्गवास के बाद स्वतंत्रता सेनानी के यह परिवार सम्मान के साथ जीने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वहीं इस मामले में मनिहारी अनुमंडल पदाधिकारी आशुतोष द्विवेदी कहते हैं कि प्रशासन को स्वतंत्रता सेनानी के इस परिवार की बदहाली के बारे में जानकारी ही नहीं थी। अब पता चला है तो निश्चित तौर पर सरकारी स्तर पर जो भी सहयोग होगा मुहैया कराया जाएगा।

 

 

 

 

 

 

 

 

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