सरना कोड : आदिवासी संगठनों ने जामताड़ा, किता स्टेशन पर ट्रैक जाम किया

AJ डेस्क: 2021 में जनगणना में सरना धर्म कोड को शामिल करने की मांग पर रविवार को विभिन्न आदिवासी संगठनों ने रेल रोड-चक्का जाम का आह्वान किया है। इसी के तहत जामताड़ा में प्रदर्शनकारियों ने ट्रेन को जाम कर दिया। हालांकि मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने लोगों को वहां से हटा दिया। वहीं, रांची के पास सिल्ली के किता रेलवे स्टेशन पर भी प्रदर्शनकारियों ने ट्रैक जाम किया। यहां भारी संख्या में पुलिस बल को पहले ही तैनात कर दिया गया था।

 

 

आसनसोल कर्माटांड़ रेलखंड कशियाटांड़ हाल्ट पर आदिवासी सेंगल अभियान के कार्यकर्ताओं ने रेल चक्का जाम किया। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सैकड़ों की संख्या में सेंगल अभियान के कार्यकर्ताओं ने रेलवे ट्रैक पर प्रदर्शन किया। अपनी मांगों को लेकर महिला-पुरुष और युवक-युवती सभी रेलवे ट्रैक पर उतर आए थे।

 

 

 

 

इससे पूर्व शनिवार को मशाल जुलूस का आयोजन रांची के परमवीर अलबर्ट एक्का चौक में अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद, आदिवासी सेंगेल अभियान और केंद्रीय सरना समिति ने की। समिति के अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने कहा कि वर्षों से आदिवासी अपनी संस्कृति परंपरा बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हर हाल में आदिवासी 2021 में जनगणना में सरना धर्म कोड चाहते हैं। परंतु केंद्र सरकार आदिवासियों को सरना कोड देना नहीं चाहती है।

 

 

फूलचंद तिर्की ने कहा कि 2021 की जनगणना मार्च-अप्रैल से होने वाली है। आदिवासी अब केंद्र सरकार की मंशा समझ चुके हैं। अब बिना आंदोलन के सरना कोड मिलने वाला नही है।

 

 

 

 

आदिवासियों की संख्या हर 10 साल में बढ़ने की बजाय घटती जा रही-

मालूम हो कि इस मामले को लेकर लंबे वर्षों से झारखंड सहित पूरे देश में संघर्ष जारी है। यह भी बताते चलें कि धर्म कोड को जनगणना फोरम में शामिल करने या ना करने का अधिकार भारत सरकार की अनुशंसा पर रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया करती है। 12 करोड़ से अधिक निवास करने वाले प्राकृतिक पूजक आदिवासियों का धर्म कोड नहीं है। आदिवासी संगठनों का कहना है कि अपना धर्म कोड नहीं होने के कारण 10 वर्ष में जब जनगणना होती है तो प्रकृति आदिवासियों की गणना या तो ईसाई धर्म में कर दी जा रही है या हिंदू में या अन्य में। इससे आदिवासियों की संख्या हर 10 साल में बढ़ने की बजाय घटती जा रही है।

 

 

विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया था-

झारखंड के दो दशक के इतिहास में पहली बार सरना कोड को लेकर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया था। झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान संशोधन के बाद सरना आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव पारित हो गया। अब इस पारित प्रस्ताव को केंद्र सरकार को भेजा गया है।

 

 

 

 

 

 

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Inpit- Dainik Bhaskar

 

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