नेता जी ‘सुतल हथी’ : समस्याओं से घिरी जनता का कोई सुध लेने वाला नहीं
AJ डेस्क: चुनाव में अभी देरी है।नेता जी या तो आराम फरमा रहे हैं या अपने निजी कार्यों में व्यस्त हैं। इसमें कोई गलती भी नही है। चुनाव के वक्त तो फिर दरवाजे दरवाजे जाना ही है तो क्यों नही अभी नेता जी अपना काम फरिया लेवें। आखिर उन्हें भी तो कई इंतजाम देखने हैं, नही तो चुनाव में वह ‘बोड़ा’ कैसे खोल पाएंगे।
कोयलांचल की जनता पेयजल, बिजली और सड़क जैसी बुनयादी जरूरतों से महफूज होकर संकट का सामना कर रही है। कारण जो भी हो लेकिन जनता को बिजली, पानी का संकट झेलना पड़ रहा है। करोड़ो रूपये से बनी सड़कों पर बड़े बड़े गढे उभर आए हैं जो दुर्घटनाओं और ट्रैफिक जाम को खुल्लम खुला न्योता दे रहे है। बिजली, पानी, ट्रैफिक जाम, सड़क से जूझ रही जनता के तरफ नेता जी झांक कर भी नही देख रहे।
पेट्रोलियम पदार्थों के रेट में आई उछाल के खिलाफ कांग्रेस समर्थक केंद्र सरकार का विरोध करते हुए सड़क पर उतर गए। कोयलांचल की जनता ने वोट देते समय भाजपा पर अधिक विश्वास जताया। तभी तो धनबाद, सिंदरी, बाघमारा और निरसा से भाजपा के प्रत्याशियों ने जीत का स्वाद चखा। कोयलांचल के छह में से चार सीट भाजपा की झोली में गयी। पार्टी स्तर से भी कोयलांचल पर मजबूत पकड़ बनाए रखने की सोच के साथ महानगर और ग्रामीण संगठन बनाया गया। एक ही जिला में दो दो अध्यक्ष बनाए गए। चार विधायक, दो अध्यक्ष और सांसद भाजपा से हैं।
अभी भाजपा सत्ता से भी दूर है यानि विपक्ष की भूमिका में है। फिर भी भाजपाई जन समस्याओं को लेकर जनता की आवाज बुलंद नही कर रहे। ऐसा प्रतीत होता है कि नेताओं को जनता की समस्याओं से अभी कोई लेना देना ही नही है। कहीं ऐसा तो नही कि द्वारे द्वारे घुमने वाले नेता, कार्यकर्ता एक राष्ट्रीय पार्टी के पद चिन्हों पर चलने लगे हैं और वह आराम तलब हो गए हैं। ड्राइंग रूम की राजनीति करने वाली उस पार्टी का हश्र सबके सामने है।अब वह अपना अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रहा है। जनता से दूर भाग रहे, जन समस्याओं के प्रति आंख मुंदने वाले नेता और कार्यकर्ता होशियार। जनता जाग गयी तो फिर———-।