“P A” कुछ तो करो : किसी चीज का ‘उद्घाटन’ करवाओ
रिपोर्ट-अरुण कुमार तिवारी
AJ डेस्क: नेता जी पावर में हैं नही। कभी खुद थे भी नही लेकिन परिवार के सदस्य कभी पावर में रहे थे, उस वक्त का नजदीकी अनुभव है। यहां तो पावर की पूजा होती है। नेता जी जबसे सक्रिय राजनीति में कदम रखे हैं, उन्हें शिलान्यास या उद्घाटन का अवसर मिल ही नही रहा। परेशान परेशान हैं नेता जी।
एक कहानी यहां चरितार्थ होते नजर आ रही है। एक नेता जी कभी पावर में थे, तब उनके हाथों शिलान्यास और उद्घाटन खूब हुआ करता था। सत्ता से दूर हुए तो कोई पूछ ही नही रहा था। नेता जी दुखी मन से अपने PA और सलाहकारों से कहते-अरे यार कहीं के प्रोग्राम में एडजस्ट कराओ। फिर भी उनके हाथों की खुजली खत्म नही हो रही थी। थक हार कर नेता जी अपने खर्च से लोगों के यहां कथा कराने लगे और शंख बजाकर पूजा की शुरुआत करवाते।
कमोवेश यही हाल इस नेता जी की है। जनता की समस्याओं का आवाज बुलंद करना नही है। तब सलाहकारों के बीच मानो होड़ मची हुई है कि वह नेता जी को इसी बहाने अपने परिचितों के यहां आयोजित हर तरह के कार्यक्रम में ले जाएं। वह धार्मिक कार्यक्रम हो, किसी के यहां जन्म दिन हो, छठी हो या कोई सड़क दुर्घटना में जख्मी ही क्यों नही हुआ हो। सलाहकार नेता जी को इस तरह के आयोजन में ले जाकर अपनी पीठ थपथपाते ही हैं, नेता जी के खास और प्रिय भी बनने का दावा करते हैं। नेता जी भी खुश हैं कि वह जनता जर्नादन के बीच लगातार बने हुए हैं। लोकप्रियता में चार चांद लग रहा है।