सपने हुए चकनाचूर : “नेता जी” पहले पार्षद तो बनें फिर डिप्टी मेयर की सोंचे

रिपोर्ट- अरुण कुमार तिवारी

AJ डेस्क: हेमंत सरकार ने अचानक से कई नेताओं के हवाई महल को ध्वस्त कर दिया। झारखण्ड में होने वाले निगम चुनाव के लिए बन रही रणनीति अचानक धड़ाम करके धरातल पर आ गयी। नेता जी पहले पार्षद तो बन जाएं फिर डिप्टी मेयर का सपना देखें।

 

 

धनबाद नगर निगम में चुनाव होने की घोषणा होते ही अचानक मेयर और डिप्टी मेयर पद के कई दावेदार नजर आने लगे। सभी अलग अलग स्टाइल में खुद को प्रोजेक्ट भी करने लगे थे। इसी बीच पहला झटका तब लगा जब धनबाद नगर निगम में मेयर का पद OBC के लिए आरक्षित हो गया। इसके बाद सामान्य वर्ग के नेता जी डिप्टी मेयर का चुनाव लड़ने की ताल ठोकने लगे। अब दूसरा सरकारी झटका लगा कि चुनाव दलगत आधार पर नही होगा। इससे पार्टी कार्यकर्ताओं का स्पोट अब नेता जी को नही मिलेगा। दूसरा झटका पार्षद में से ही कोई एक डिप्टी मेयर चुना जाएगा। जिसे पार्षद ही चुनेंगे।

 

 

कोयलांचल में कुछ नेता अब तक क्षेत्र में हाड़ तोड़ मेहनत कर रहे थे ताकि उन्हें जनता का आशीर्वाद मिल सके। वह पूरे निगम क्षेत्र को अपना चुनावी क्षेत्र मानते हुए काम कर रहे थे। किसी एक वार्ड विशेष पर उनका फोकस नही था। हेमंत सरकार की नई घोषणा के बाद डिप्टी मेयर पद के दावेदारों को अब नए सिरे से अपने लिए वार्ड तलाशना होगा। वार्ड में पहले से ही सक्रिय नेताओं के गढ़ में उन्हें अपना स्थान बनाने में कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी।

 

 

डिप्टी मेयर पद का सपना देखने वाले नेताओं की डगर अब आसान नही रही। कोयलांचल के पुराने अनुभव को ही देखा जाए तो यह स्पष्ट हो जाता है कि इस बार भी “धन बल” का तगड़ा खेल होने जा रहा है। नेता जी पहले तो खुद पार्षद बन जाएं, पार्षद बन जाना तो सीढ़ी के पहले पायदान तक की सफर पूरा करना मात्र है। उसके बाद शुरू होगा “मनी पावर” का खेल। जिसके पास अधिक से अधिक पार्षदों का समर्थन होगा, वही डिप्टी मेयर की कुर्सी पर बैठ सकेगा।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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