बिजली साहब थोड़ा आमाघाटा व गोबिंदपुर क्षेत्र के उपभोक्ताओं की पीड़ा पर भी ध्यान दें
AJ डेस्क: कांड्रा और आमाघाटा के बीच कहीं प्रॉब्लम हो गया है, फॉल्ट तलाशा जा रहा है। सात सात घण्टा बिजली आपूर्ति ठप्प। नेशनल ग्रिड से पर्याप्त बिजली नही मिल रही, क्षेत्र का बंटवारा कर ‘राशनिंग प्रणाली’ के तहत बिजली आपूर्ति शुरू। हल्की सी बारिश क्या हुई, घण्टो बिजली आपूर्ति ठप्प।
धनबाद वन और 2 क्षेत्र सहित गोबिंदपुर, बरवा अड्डा और टुंडी क्षेत्र के उपभोक्ता विभाग का यह रटा रटाया जुमला तथा बिजली संकट झेलते झेलते अब ऊब चुके हैं। बिजली विभाग के बड़े साहबों के पास क्या सूचना है, यह तो पता नही लेकिन वह धरातल पर पता करें तो बिजली की भयावह स्थिति की जानकारी उन्हें मिल पाएगी।
बीते दिनों की बात छोड़ दीजिए। ज्यादा नही बुधवार से ही इन क्षेत्रों में हो रही बिजली आपूर्ति पर साहब गौर फरमाएं। ऐसा लगता है कि पुनः राशनिंग प्रणाली के तहत बिजली आपूर्ति की जा रही है। हर एक घण्टे आपूर्ति के बाद पुनः एक घण्टे के लिए बिजली गुल। यह सिलसिला जारी है।
क्षेत्र के उपभोक्ता अरबों रुपये खर्च कर कांड्रा में बने नेशनल ग्रिड की महत्ता पर ही प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं। साथ ही यह भी सवाल सभी के जेहन में कौंध रहा है कि आमाघाटा में पहले DVC से आपूर्ति होती थी। शहर के कई सब स्टेशन में कांड्रा नेशनल ग्रिड और DVC दोनों से बिजली आपूर्ति की वैकल्पिक व्यवस्था लागू है तो फिर आमाघाटा सिर्फ कांड्रा पर क्यों निर्भर है। संकट काल मे वह DVC की बिजली क्यों नही ले पाता ? बिजली साहब, उपभोक्ता त्रस्त हो चुके हैं। क्या यह जरूरी है कि राजनीतिक दल वाले आंदोलन करने की चेतावनी देंगे, तभी उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी या विभाग स्वतः अपने कर्तव्य का निर्वहन करेगा। जनता की सुविधा के लिए और संगठन की मजबूती के लिए एक राष्ट्रीय पार्टी ने नगर और ग्रामीण जिलाध्यक्ष की व्यवस्था की। ग्रामीण जिलाध्यक्ष तो धनबाद के वैसे क्षेत्र में रहते हैं, जहां उन्हें बिजली संकट का सामना नही करना पड़ता। फिर वह क्षेत्र की जनता का कष्ट भला कैसे महसूस कर पाएंगे।