त्रिकुट रोपवे हादसा : 46 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन में 46 जानें बचाई गई

AJ डेस्क: झारखंड के देवघर में हुए हादसे ने पूरे देश को दहलाकर रख दिया। झारखंड के एकमात्र रोपवे साइट पर हुए इस हादसे ने रेस्क्यू के दौरान 3 जिंदगियां लील ली। वहीं एक बच्चे की भी मौत अस्पताल मे इलाज के दौरान हो गई। एनडीआरएफ और सेना की टीम ने मिलकर इस हादसे में फंसे लोगों को निकालने की कोशिश के लिए ऑपरेशन चलाया। यहां से अबतक 46 लोगों को सकुशल निकाला जा चुका है।

 

 

हादसे की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एयर फ़ोर्स, आई टी बी पी और एनडीआरएफ टीम का यह ऑपरेशन करीब 46 घंटो तक चला। सोमवार को जहा 33 लोगो को हेलीकाप्टर की मदद से रेस्कीयू किया गया, वहीं 15 लोगो को करीब चालीस घंटे बाद सुरक्षित निकाला जा सका। हालांकि रेस्कीयू के दौरान सोमवार को जहा एक पुरुष की मौत हो गई, वहीं मंगलवार को एक महिला को भी रेस्क्यू के दौरान जान गवाना पड़ा।

 

 

यहाँ फंसे लोगों में से एक परिवार था बिहार के सीतामढ़ी से आए चंपा देवी का परिवार। चंपा देवी अपने दो बेटों का मुंडन कराने देवघर आई थी। उसके साथ उनकी माँ, पिताजी, सास-ससुर सहित नौ लोग थे। सभी लोग पहले बैधनाथ मंदिर मे पूजा करने के बाद वासुकीनाथ जाने के लिए निकले थे। रास्ते मे त्रिकुट पर्वत पर जाने का प्लान बना और सभी चले गए। हादसा तब हुआ जब वो लोग लौट रहे थे। अचानक से तेज आवाज़ हुई और आगे की ट्रॉली चट्टान से टकरा गई, जबकि पीछे की ट्रॉली जहा की तहा रुक गई। चंपा देवी उनके पति और दो बच्चे एक केबिन मे थे, जबकि उनकी सास, माँ और ससुर तथा पिताजी दूसरे केबिन मे थे।

 

 

चंपा के अनुसार वे लोग काफी डरे हुए थे। रविवार की रात ऐसे ही बीती। मसोमवार की सुबह निचे कुछ हालचाल दिखाई दिया। लेकिन शाम तक सिर्फ उनकी माँ को निकाला गया। जबकि बच्चो और पति के साथ वह लगभग चालीस घंटे बाद निकाली जा सकी। सोमवार को शाम जब उनके आगे के केबिन का एक आदमी हेलीकाप्टर से गिरा तो उनकी हिम्मत भी जवाब दे गई थी। लेकिन चंपा उसके पति और बच्चो को आज सुरक्षित निकाल लिया गया।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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