{VIDEO} एक सौ चालीस के जी का कांवर लेकर कावरियां चला बाबा के दरबार बैद्यनाथ धाम

AJ डेस्क: सावन माह में देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ पर शिव भक्तों द्वारा अपने कांवर में जल भर कर 105 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर भगवान शिव पर जल अर्पण करने की परंपरा विश्वप्रसिद्ध है। कहा जाता है कि बाबा बैद्यनाथ का एक नाम रावणेश्वर महादेव भी है। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यहाँ मनोकामना लिंग स्थापना रावण के कारण ही हुई थी। शास्त्रों में रावण को महान शिव भक्त भी कहा गया है। इन्ही सब बातों को लेकर कांवरियों का एक जत्था 140 किलो के रावण की प्रतिमा युक्त कांवर लेकर सुल्तानगंज से जल लेकर बाबा रावणेश्वर पर जल अर्पण करने निकला है। जो लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

 

 

भागलपुर सुलतानगंज के अजगैबीनाथ धाम में सावन माह में ज्यादातर कावड़ियां कांवर में जल भरकर जाते है। वहीं कुछ कावड़ियां अपने आराध्य भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कुछ अलग तरह के कांवर ले के चलते है। ऐसा ही एक ग्रुप बंगाल के कोलकाता से आकर 140 किलो का डोली कांवर या कहे प्रतिमा लेकर देवघर जा रहे है। यह प्रतिमा किसी देवता की नहीं, बल्कि लंकापति रावण की है। इस ग्रुप का मानना है कि लंकापति से बड़ा शिवभक्त कोई नहीं है। ऐसे में उनके प्रतिमा के साथ जल चढ़ाने पर महादेव प्रसन्न होंगे।

 

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140 किलो के रावण की झांकी युक्त कांवर उठाने के लिए एक बार में चार कावड़ियां को लगना पड़ता है। वो भी पांच किलोमीटर जाकर फिर अगले ग्रुप को कांवर दे देते है। इसी तरह वो पूरी 105 km की पैदल यात्रा कर देवघर पहुंचेंगे। जहाँ देवघर जाने में अमूमन 3 से 4 दिन लग जाते है। वहीं कोलकाता से आए काँवरिया का यह ग्रुप 36 घंटे में डोली कांवर लेकर देवघर पहुचेगा।

 

 

ओम ग्रुप नामक इस ग्रुप के एक कांवरिया प्रकाश ने बताया कि उनके ग्रुप में 12 कांवरिया हैं। इस तरह से वो लोग 2016 से कांवर लेकर जा रहे है। दो साल करोना महामारी होने पर नहीं जा सके थे। उसने बताया कि हर बार वह एक प्रतिमा के साथ देवघर जल चढ़ाने जाते हैं। इससे पहले अर्द्धनारिश्वरी, 12 शिवलिंग और गणेश भगवान की प्रतिमा के साथ जल चढ़ाने के लिए जा चुके हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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