जज हत्याकांड के दोनों आरोपी को मिली उम्र कैद की सजा

AJ डेस्क: बीते गुरुवार यानि 28 जुलाई को न्यायाधीश उत्तम आनंद की पहली पुण्यतिथि के दिन धनबाद स्थित सीबीआई के विशेष न्यायाधीश रजनीकांत पाठक की अदालत ने न्यायाधीश उत्तम आनंद हत्याकांड के दोनों आरोपी राहुल वर्मा और लखन वर्मा को जज की हत्या एवं घटना का साक्ष्य छिपाने का दोषी ठहराया था। इसके बाद आज यानि 6 अगस्त को अदालत ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया है। न्यायालय ने दोनों मुजरिमों राहुल वर्मा एवं लखन वर्मा को धारा 302/34 में ताउम्र कैद (जीवित रहने तक) एवं 20-20 हजार रुपये का जुर्माना, धारा 201 (साक्ष्य छुपाने) के तहत सात वर्ष की कैद एवं 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।

 

 

फैसले से पूर्व सजा के बिंदु पर धनबाद सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश रजनीकांत पाठक की अदालत में करीब 45 मिनट तक सुनवाई चली। इस दौरान सीबीआइ के विशेष अभियोजक अमित जिंदल ने कहा कि न्यायाधीश जैसे विशिष्ट पद पर बैठे व्यक्ति की हत्या रेयर ऑफ द रेयरेस्‍ट प्रकृति के अपराध की श्रेणी में आता है। जिंदल ने इस बाबत सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बच्चन सिंह स्टेट ऑफ पंजाब, धनंजय चटर्जी बनाम बंगाल राज्य में पारित सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का हवाला दिया। दोनों मुजरिमों राहुल वर्मा एवं लखन वर्मा को सजा-ए-मौत देने की मांग की और कहा कि मानव जीवन के मूल्य का कोई महत्व इनके लिए नहीं है। दोनों आपराधिक इतिहास के लोग हैं। जज के तीन छोटे बच्चे हैं। पत्‍नी अब विधवा हो चुकी है। मांग की कि उनके जीवन यापन के लिए उन्हें मुआवजा भी दिलाया जाए।

 

 

 

 

 

 

वहीं दूसरी ओर बचाव पक्ष के अधिवक्ता कुमार विमलेंदु ने अपनी दलील देते हुए कहा कि दोनों कम उम्र के लड़के हैं। नशे की हालत में उनसे यह हादसा हुआ है। उनका हत्या का इरादा नहीं था। वह नहीं जानते थे कि जिन्‍हें उन्‍होंने टक्‍कर मारी है, वह जज हैं। उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। जवान हैं। गरीब हैं। मां-बाप को देखने वाला कोई नहीं है। लिहाजा अदालत दंडादेश में सहानुभूति पूर्वक विचार करे।

 

 

बता दें कि सीबीआई के विशेष न्यायाधीश रजनीकांत पाठक की अदालत पर इस फैसले को लेकर सबकी निगाहें टिकी थी। सीबीआई की विशेष अदालत ने इस मामले का स्पीडी ट्रायल कर महज 5 महीने में ही इस केस का फैसला सुना दिया है। सीबीआई के क्राइम ब्रांच की तरफ से अदालत में प्रस्तुत किये गए आरोप पत्र में शामिल 169 गवाहों में से कुल 58 गवाहों के बयान अदालत में दर्ज कराया गया। इसके बाद अदालत आईपीसी की धारा 302, 201 और 34 के तहत दोनों आरोपितों राहुल वर्मा एवं लखन वर्मा को छह अगस्त को दोषी करार दिया था।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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