अनोखी शादी : बाबा भीम राव अंबेडकर को साक्षी मान रचाया विवाह

AJ डेस्क: असत्य पर सत्य की विजय के पर्व विजयादशमी के दिन ही औरंगाबाद जिले के रफीगंज प्रखंड कार्यालय परिसर में शादी के साथ एक प्रेमी युगल के प्यार की जीत हो गई। इस अनोखी शादी के साक्षी भारतीय संविधान के रचयिता बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर बने।

 

डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष दर्जनों सामाजिक कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में प्रेमी युगल ने एक-दूसरे के गले में फूलों की माला पहनाई। जीवनभर साथ निभाने की कसमें खाई और एक-दूजे का हाथ थाम लिया। बिना दहेज, बिना बैंड बाजे के खुले आसमान तले इस तरह की शादी कर नवदंपत्ति ने समाज के लिए मिसाल पेश की है और समाज को दहेज जैसी कुप्रथा को मिटाने का संदेश भी दिया है।

 

गौरतलब है कि पौथू थाना के बराही बाजार निवासी कामता रविदास ती तृतीय पुत्र रणधीर कुमार मदनपुर थाना के उचौली गांव निवासी राजू राम के दूसरी पुत्री ज्योति कुमारी से प्यार करता था। दोनों की जाति एक थी। दोनो के परिवारवाले भी शादी को राजी थे लेकिन प्रेमी युगल की इच्छा शादी को अनोखा और यादगार बनाने की थी। इसी वजह से दोनो ने प्यार की जीत के लिए विजयादशमी का दिन और विवाह स्थल के रूप में डॉ. अंबेडकर का स्मारक चुना। चयनित दिन और चयनित स्थल पर प्रेमी उगल आएं और शादी कर जीवन की राह पर अग्रसर हो गये। शादी के मौके पर मौजूद हरेंद्र कुमार एवं राजद नेता शहजादा शाही ने नवदंपत्ति को शुभकामनाएं दी। कहा कि तमाम कुरीतियां व रुढ़िवादी परम्परायें समाज को जकड़े हुए हैं। उन कुरीतियों व रुढ़िवादी परम्पराओं को तोड़ते हुए आज बिल्कुल कम खर्चे में विवाह कर दोनों ने मितव्ययिता का एक उदाहरण पेश किया है। समाज को एक संदेश दिया है। इस तरीके से विवाह होते रहना चाहिए।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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