“डर काहे का, सैंया हैं कोतवाल” : आखिर कौन है कोयला का अवैध कारोबारी मुकेश
AJ डेस्क: खान निरीक्षक ने कोयला लदा ट्रक पकड़ लिया। शुरुआती जांच में कोयला और उसका पेपर दोनों ही फर्जी लगा। अधिकारी ने नामजद FIR भी करा दिया लेकिन जहां से अवैध कोयला उठा था, वहां तो “सईयां हैं कोतवाल, फिर चिंता काहे का” कहावत चरितार्थ हो रहा है।
खान निरीक्षक ने बरवा अड्डा थाना में दिए गए लिखित आवेदन में कहा है कि झरिया का मुकेश गोधर के अवैध डिपो से तीस टन कोयला लोड कर बाहर भेज रहा था। ट्रक ड्राइवर के बयान पर FIR तैयार किया गया है। इस कोयले पर लगी कागजात किसी गणेश पांडे के द्वारा उपलब्ध कराए जाने की बात कही गई है।


खान निरीक्षक के इस FIR पर गहनता से जांच हो गई तो कोयला के अवैध कारोबार के अनेक राज खुल सकते हैं। अब यहां यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या खान निरीक्षक के इस कार्रवाई के बाद केंदुआ डीह क्षेत्र में कोयला का अवैध कारोबार बंद हो गया। गोधर ही क्यों जोड़ा चिमनी, कुसुंडा, तीन नंबर, BNR रेलवे साइडिंग के समीप, केंदुआ के पुराना थाना भवन के पीछे सहित और अन्य आधा दर्जन क्षेत्र में अभी भी धड़ल्ले से काले हीरे की दिन दहाड़े लूट जारी है। यहां मुकेश के अलावा पप्पू भी लूट में शामिल है।
जिला मुख्यालय से सटे केंदुआ डीह क्षेत्र में दिन दहाड़े जिस कदर धडल्ले से काले हीरे की लूट जारी है, वह स्थानीय पुलिस की भूमिका को संदेह के घेरे में अवश्य लाती है। आखिर ऐसा हो क्यों नही, वर्दी वाले—- बाबू नेता रहे हैं, उनकी राजधानी में गहरी पैठ भी है। उन्हें जिला मुख्यालय से कोई खास फर्क भी नही पड़ता। खान निरीक्षक या कोई भी प्रशासनिक अधिकारी जिस थाने में भी FIR दर्ज करावें, केंदुआ में “ऑल इज वेल”।
