हैरान न हों यहां लगता है “भूतों” का मेला, अदालत में सुनी जाती है फरियाद

भूत-प्रेत और चुड़ैल जैसी चीजों को विज्ञान नहीं मानता, लेकिन लोगों की अपनी मान्यताएं हैं। जिन्हें लोग सदियों से निभाते चले आ रहे हैं। मध्य प्रदेश के खंडवा जिले से करीब 25 किमी दूर जावर गांव के पास सैलानी बाबा की दरगाह पर हर साल यह भूतों का एक विशाल मेला लगता है।

 

AJ डेस्क: खंडवा में भूतों की एक अदालत लगती है। इस अदालत के जज सैलानी बाबा हैं। यहां आने वाले श्रद्धालुओं का मानना है कि बाबा के सामने भूत-प्रेत कांपते हैं। उनकी जाली पकड़ते ही भूत अपना जुर्म कबूल लेते हैं। यहाँ आने वाले लोगों का कहना है कि बाबा भूतों को सजा भी देते। इस दरगाह पर भूत, प्रेत और बाहरी बाधाओं से पीड़ित लोग मुक्ति के लिए आते है। इसमें अधिकांश लोग वह होते है जो अस्पताल और डॉक्टरों के इलाज से थक हार कर हताश हो जाते है। यह दरगाह साम्प्रदायिक सौहार्द का भी मिसाल है। यहाँ हिन्दू कैलेंडर की तिथि के अनुसार होली से रंग पंचमी तक मेला लगता है। लोगो का ऐसा मानना है कि इन पांच दिनों में बाबा की विशेष अदालत यहाँ लगती है। जिन लोगों को यहाँ से फायदा होता है वह भी हर साल यहाँ हाजिरी लगाने आते है।

 

 

हम किसी अंधविश्वास को बढ़ावा नही दे रहे, लेकिन बताना भी जरूरी है कि हमारा समाज आज भी रूढ़िवादी जकड़न से बाहर नही निकल पा रहा है। इस 21 वीं सदी में भी हमारे देश में तंत्र-मन्त्र और भूत-प्रेतों की एक अलग हीं दुनिया है। जहाँ लोग बखूबी आज भी आस्था और श्रद्धा से सिर झुकाते हैं। खंडवा के जावर गांव के पास सैलानी बाबा की दरगाह है, जहाँ होली से लेकर रंगपंचमी तक भूतों की अदालत लगती है। जहाँ भूतों की पेशी होती है। दरगाह के परिसर में आते ही पीड़ितों की अजीब हरकत और आवाजों से अलग ही मंजर दिखाई देता है। बाहरी बाधा से परेशान लोग दूर दूर से यहाँ आते है। बाबा की इस अदालत में बाहरी बाधाओं और भूत प्रेत से पीड़ित लोगों की हाजरी लगती है। जहाँ बुरी आत्माओं को सैलानी बाबा स्वयं सजा देकर शरीर से बाहर निकालते हैं। जिन्हें फायदा होता है वे लोग भी यहाँ हाजिरी लगाने आते है।

 

 

 

 

 

 

सैलानी बाबा की यह दरगाह करीब सौ साल पुरानी है, जो बुलढाना के फकीर मकदूम शाह सैलानी की है। कहा जाता है कि जिन शरीरों पर बुरी आत्माओं ने अपना कब्जा जमा लिया हो, जिनके आगे हर तंत्र-मन्त्र फेल हो गया हो, ऐसे ही बुरी नजर और बाहरी आत्माओं से पीड़ित लोगों की यहाँ पेशी होती है। यहाँ आने के बाद बड़े से बड़ा शैतान भी बाबा के सामने सरेंडर हो जाता है। बाबा इन आत्माओं को शरीर से अलग कर लोगों को मुक्ति दिलाते है। कई लोग ऐसे भी है जिन्होंने डॉक्टरी इलाज में भी कोई कसर नही छोड़ा, आखिकार फायदा बाबा की अदालत में ही मिला।

 

 

1939 में स्थापित बाबा की इस दरगाह में होली से लेकर रंगपंचमी तक देश भर से हजारों लोगों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो जाता है। देशभर से आए लोग यहाँ तम्बू बनाकर कई दिनों तक रहते हैं। मान्यता है कि पांच गुरुवार नियमित यहाँ आने से पीड़ितों को फायदा होता है। कुछ लोग अपना कुछ अच्छा होने की मन्नत लेकर भी यहाँ आते है और बली के रूप में मुर्गे और बकरे को भी साथ लाते है। जिसे बाबा के नाम पर यही छोड़ जाते है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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