गुलाम की जिंदगी जी रहे बालीडीह औद्योगिक क्षेत्र के मजदूर- रवि चौबे

AJ डेस्क: कोयलांचल स्टील कामगार यूनियन नामक इंटक ट्रेड यूनियन ने झारखंड के श्रम, रोजगार, प्रशिक्षण और कौशल विकास विभाग के मंत्री को एक अपील पत्र लिखा है। जिसमें इंडियन ऑयल बॉटलिंग प्लांट बियाडा बोकारो के श्रमिकों के कामकाजी परिदृश्य को बताया गया है।

 

 

यूनियन ने कहा कि बालीडीह औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वाले पूरे कामगारों को लंबे समय से गुलाम माना जाता है और उन्हें ठेकेदारों या प्रमुख कर्मचारियों द्वारा निर्धारित मापदंडों के अनुसार काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। बहुत कम प्रतिशत सरकारी नियमों और विनियमों के अनुसार मजदूरी, लाभ और सुविधाएं प्रदान करता है। इंडियन ऑयल बॉटलिंग प्लांट के मुद्दे के अनुसार संयंत्र में कई कर्मचारी जो वर्षों से इकाई के लिए काम कर रहे हैं, उनके पास स्थायी गेट पास नहीं है। उन्हें बिना किसी ईएसआईसी, ईपीएफओ, बोनस और अन्य लाभों और सुविधा के 300 रुपये/ प्रति दिन के नकद भुगतान के साथ काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। उन्हें काम के दौरान संयंत्र में कोई सुरक्षा भी नहीं मिलती है जो मुख्य चिंता का विषय है और सरकारी नियमों का उल्लंघन है।

 

 

यह स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि ठेकेदार स्वयं एक एलपीजी बॉटलिंग प्लांट के प्रबंधन के अनुरूप न केवल अपने आप को अन्यायपूर्ण रूप से समृद्ध बनाने के लिए, बल्कि श्रमिकों को वस्तु समझकर मानव जीवन के साथ खिलवाड़ भी करता है। उद्योग में कई श्रमिकों को वर्षों से सुरक्षा किट जैसे कपड़े, उपयुक्त दस्ताने, हेलमेट, जूते आदि नहीं मिले हैं। व्यावसायिक, सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति संहिता 2020 के अनुसार कंपनी किसी भी मानक को पूरा नहीं करती है। यहां श्रमिक ऐसे क्षेत्र में काम करते हैं जो खतरनाक है और उनके पास सूक्ष्म अनुभव है। यहां कोई कल्याणकारी प्रावधान नहीं है। साप्ताहिक और प्रतिपूरक अवकाश नहीं है, ओवरटाइम के लिए अतिरिक्त मजदूरी प्रदान नहीं की जाती है और न ही इस पर ध्यान दिया जाता है।

 

 

साथ ही वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम,1981 के अनुसार भी, सभी उद्योगों के लिए वायु प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों को स्थापित करना और चलाना अनिवार्य है, जिनका कई उद्योग पालन नहीं करते हैं।

 

 

कोयलांचल स्टील कामगार यूनियन के महासचिव एवं युवा इंटक के प्रदेश अध्यक्ष कुमार रवि (चौबे) ने मजदूरों की आवाज बुलंद करते हुए कहा है कि सरकार के लाभ और सुविधा से वंचित मेहनतकश मजदूरों और उनके परिवार के लिए यह बहुत ही दु:खद है। उन्होंने झारखंड के श्रम मंत्री से आग्रह किया कि इस मामले पर गंभीरता से विचार करें और संबंधित विभागों को निर्देश दें कि वे निरीक्षण करें और वास्तविक कारण का पता लगाएं और संबंधित उद्योग या ठेकेदार को दंडित करें। कंपनी और ठेकेदार पारस्परिक रूप से नुकसान पहुंचा रहे हैं। वहां वास्तविक कामकाज और सरकार के करों और रॉयल्टी को छिपाकर सरकार को आर्थिक नुकसान पहुंचा रहे हैं। संघ ने मंत्री से इस पर त्वरित कार्रवाई करने की अपील की अन्यथा कर्मचारी और संघ, सरकार, उद्योग और भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ विरोध पर उतरेंगे।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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