आयोग का डंडा: झारखण्ड के स्कूलों में पूरे चुनाव बन्द रहेंगे 32 हजार “टैब”

AJ डेस्क: लोकसभा चुनाव 2019 देश में इस बार 11 अप्रैल से शुरु होने जा रहा है। जिसको लेकर तमाम राजनीतिक पार्टियों ने दांव पेंच खेलना शुरु कर दिया है। इसी बीच मंगलवार को हाल ही में झारखंड सरकार की ओर से सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को पढ़ाने के लिए बांटे गए 32000 टैबलेट के इस्तेमाल पर चुनाव आयोग ने आचार संहिता का डंडा चलाते हुए इसपे पूरी तरह से रोक लगा दिया। चुनाव आयोग की आपत्ति का मुख्य कारण है कि टैबलेट को ऑन करते ही उसमें झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास का सदेंश वीडियो सामने आता है। जिसको चुनाव आयोग झारखंड सरकार का चुनावी एजेंडा के रूप में देख रहा है।

 

 

इस बार चुनाव आयोग तमाम पार्टियों के चुनाव प्रचार पर काफी सख्ती से नजर बनाए हुए है। इससे पहले चुनाव आयोग ने सभी सियासी दलों से अपने चुनाव अभियान में सैनिकों और सैन्य अभियानों की तस्वीरों का प्रयोग न करने का सख्त निर्दश जारी किया था।

 

 

एक बार फिर चुनाव आयोग ने अपना डंडा घुमाया है और इस बार यह डंडा झारखण्ड सरकार के एक विशेष योजना पर चोट किया है। दरअसल झारखंड की रघुवर दास की सरकार ने कम्प्यूटर ई विद्यावाहिनी योजना के तहत झारखंड एजुकेशन प्रोजेक्ट कांउसिल की ओर से यहाँ के सरकारी शिक्षकों को स्कूलों में पढ़ाने के लिए 32000 टैब बांटे हैं। इसके अलावा झारखंड के गांवों में रहने वाली माहिलाओं की समूह सखी मंडल को भी हाल ही में 72000 मोबाइल फोन भी बाटा है। लेकिन इन टैब और फोन को ऑन करते ही उसमें झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास का संदेश वीडियों स्वचलित होता है।

 

 

ऐसे में इन टैब और मोबाइल फोन का उपयोग चुनाव आयोग के अनुसार आचार संहिता का उल्लंघन माना जा रहा है। दरअसल चुनाव आयोग के निर्देशानुसार देश में आचार संहिता के लागू हो जाने के बाद कोई भी राजनेता और राजनीतिक पार्टियां इस तरीके की योजना और मुहिम को नहीं चला सकते हैं।

 

 

हालांकि आचार संहिता के लागू होने के बाद झारखंड परियोजना परिषद की ओर से इन टैब में से इस वीडियो का हटाने के आदेश दिया गया था, लेकिन यह वीडियो नहीं हटाया जा सका है। ऐसे में अब चुनाव आयोग ने इसपर कड़े रुख के साथ झारखंड के सरकारी स्कूलों में इन 32000 टैब के प्रयोग पर रोक लगा दी है।

 

 

हम बता दें कि झारखंड में माहिलाओं की समूह सखी मंडल को बांटे गए 72000 मोबाइल को लेकर भी चुनाव आयोग से शिकायत की गई है।हालांकि अभी आयोग की ओर से इन मोबाइल फोन के इस्तेमाल के रोक पर कोई फैसला नहीं आया है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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