“चिनकू” बना भारतीय वायु सेना का अंग
AJ डेस्क: जिसने दुनिया के मोस्ट वांटेड टेररिस्ट ओसामा बिन लादेन को खत्म करने में अहम् भूमिका निभाई वह अमेरिकी हेलीकॉप्टर चिनूक आज विधिवत रूप से भारतीय वायुसेना के जंगी बेड़े में शामिल हो गया। अमेरिकी कंपनी बोइंग द्वारा निर्मित इन हेविलिफ्ट हेलिकॉप्टर्स से भारतीय वायुसेना की ताकत बड़ा इजाफा होने की उम्मीद जताई जा रही है या यूँ कहे की यह गेम-चेंजर साबित हो सकता है। बता दें कि चिनूक अमेरिकी नेवी सील कमांडोज का सबसे फेवरेट हेलीकॉप्टर में से एक हैं।
चंडीगढ़ एयर फोर्स स्टेशन पर आज बोइंग कंपनी ने चार चिनूक हेलीकॉप्टर वायुसेना प्रमुख, एयर चीफ मार्शल बी एस धनोआ को सौंपें। भारत ने वर्ष 2015 में 15 चिनूक हेलीकॉप्टर खरीदने का सौदा अमेरिका से किया था। उसकी पहली खेप में ये चार हेलीकॉप्टर भारत पहुंच गए हैं। बाकी 11 भी अगले एक साल में भारत पहुंचने की उम्मीद है।
चिनूक (सीएच-47एफआई) की पहली स्कॉवड्रन चंडीगढ़ में होगी और ये ‘द फीदर वेट्स’ के नाम से जानी जाती है। इस स्कॉवड्रन में पहले से ही तीन (03) हेवीलिफ्ट हेलीकॉप्टर, एमआई26 (Mi26) हैं, जो भारत ने 80 के दशक में रूस से खरीदे थे। ये दुनिया की पहली ऐसी स्कॉवड्रन होगी जहां रूसी और अमेरिकी हेलीकॉप्टर एक साथ फ्लाई करेंगे। चिनूक हेलीकॉप्टर की दूसरी स्कॉवड्रन, असम के दिनजान में होगी, जो चीन सीमा के बेहद करीब है।
Air Chief Marshal BS Dhanoa at induction ceremony of Chinook helicopters in Chandigarh:Country faces a multiple security challenges; we require vertical lift capability across a diversified terrain. Chinook has been procured with India specific enhancements; it's a national asset pic.twitter.com/UWwXvcz9Fc
— ANI (@ANI) March 25, 2019
चिनूक की खासयित ये है कि इसके ऊपर दो टेल-रोटर यानि पंखुड़ी लगी है और पूरी तरह से डिजिटल कॉकपिट मैनेजमेंट सिस्टम के साथ-साथ नाईट विजन ग्लास और हेलमेट माउंटेड डिस्प्ले है। यानि ये स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन्स करने के लिए पूरी तरह से कारगर साबित होते हैं, जैसा कि वर्ष 2011 में अमेरिकी नेवी सील कमांडो ने इसका इस्तेमाल ओसामा बिन लादेन के खात्मे के लिए ऑपरेशन नेप्चूयन स्पीयर में पाकिस्तान के एबोटाबाद में किया था।
हालांकि, नेवी सील 02 ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर्स में पहुंचे थे लेकिन चिनूक हेलीकॉप्टर्स में अतिरिक्त एनफोर्समेंट के साथ स्टैंड-बाई पर रखा गया था। लेकिन ऑपरेशन के दौरान एक ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर क्रैश-लैंड हो गया। ऐसे में चिनूक से ही कमांडोज़ को एबोटाबाद से निकाला गया और लादेन की लाश को भी इसी से पाकिस्तान से निकाला गया था।
चिनूक की इंडक्शन सेरमनी के दौरान भारतीय वायुसेना की पहली चिनूक स्कॉवड्रन के कमांडिंग ऑफिसर ने भी कहा कि वे जानते हैं कि ऑपरेशन नेप्चूयन स्पीयर में चिनूक का इस्तेमाल हुआ था।
Visuals of Chinook heavy-lift helicopter at Air Force Station 12 Wing, in Chandigarh. Indian Air Force to induct the first unit of four Chinook helicopters today. pic.twitter.com/folqFBr411
— ANI (@ANI) March 25, 2019
समारोह में बोलते हुए वायुसेना प्रमुख बी एस धनोआ ने कहा कि क्योंकि चिनूक दिन-रात दोनों में उड़ान भर सकता है इसलिए मिलिट्री ऑपरेशन्स के लिए ये ‘गेम-चेंजर’ साबित होगा। उन्होनें कहा कि जिस तरह राफेल फाइटर फ्लीट में गेम चेंजर है ठीक वैसे ही हेलीकॉप्टर्स में चिनूक है।
चिनूक को करीब 20 देशों की सेनाएं इस्तेमाल करती है। अमेरिका ने चिनूक का इस्तेमाल वियतनाम वॉर से लेकर सीरिया, ईराक और अफगानिस्तान में किया है।
चिनूक उन उंची सीमाओं पर भी पहुंच सकता है जहां तक सड़क के रास्ते जाना मुमकिन नहीं हैं। क्योंकि चिनूक करीब 20 हजार फीट तक उड़ान भर सकता है। इसके अलावा ये करीब 10 टन तक वजन उठा सकता है। यानि हल्की तोपों से लेकर सड़क बनाने वाले बाउजर और जेसीबी मशीन तक ये उठा सकता है।
Visuals of Chinook heavy-lift helicopters at Air Force Station 12 Wing, in Chandigarh. Indian Air Force to induct the first unit of four Chinook helicopters today. pic.twitter.com/o6xoiOCrOa
— ANI (@ANI) March 25, 2019
करीब 50-55 सैनिक एक साथ इसमें बैठ सकते हैं। प्राकृतिक आपदा के दौरान भी ये हेलीकॉप्टर काफी कारगर है। इसमें बीमार और घायल लोगों के लिए 24 स्ट्रेचर तक लगाए जा सकते हैं।
यानि चिनूक बहुउद्देशीय, वर्टिकल लिफ्ट प्लेटफॉर्म हेलीकॉप्टर है, जिसका इस्तेमाल सैनिकों, हथियारों, उपकरण और ईंधन ढोने में किया जाता है। इसका इस्तेमाल मानवीय और आपदा राहत अभियानों में भी किया जाता है। राहत सामग्री पहुंचाने और बड़ी संख्या में लोगों को बचाने में भी इसका उपयोग कर सकते है।
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