चुनावी घोषणा पत्र: कांग्रेस जी एस टी 2 लाएगी, अर्थ व्यवस्था में व्यापक सुधार पर फोकस
AJ डेस्क: कांग्रेस पार्टी ने आज लोकसभा चुनाव 2019 के लिए अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया। इस घोषणा पत्र में देश की अर्थव्यवस्था से जुड़े कई पहलूओं को शामिल किया गया है। ये घोषणा पत्र कांग्रेस का चुनावी वादा है। इस मौके पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि इसके तहत जीएसटी में पूरी तरह से बदलाव किया जाएगा और जीएसटी 2.0 लाया जाएगा।
कांग्रेस के घोषणा पत्र के अनुसार नए जीएसटी में सिर्फ 1 टैक्स होगा। इसके अलावा ई वे बिल को भी खत्म किया जाएगा। घोषणा पत्र में कांग्रेस ने कहा है कि वो किसानों का कर्ज अन्य राज्यों में भी माफ करेगी। अलग से किसान बजट पेश किया जाएगा। किसानों के लिए अलग से फसल बीमा योजना लाई जाएगी।
राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3 फीसदी के बराबर रखा जाएगा। विदेश व्यापार नीति की समीक्षा 3 महीने के भीतर की जाएगी। रोजगार के लिए कांग्रेस नया उद्योग, सेवा और रोजगार मंत्रालय का गठन करेगी। मार्च 2020 तक 4 लाख सरकारी रिक्त पदों को भरा जाएगा।
सरकारी पदों के लिए होनी वाली परीक्षा से आवेदन शुल्क समाप्त करेगी। मैन्युफैक्चरिंग में जीडीपी की मौजूदा हिस्सेदारी 16 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी की जाएगी। कांग्रेस के इलेक्शन मेनिफेस्टो में इकोनॉमी से जुड़ी बड़ी बातें।
-मेक इन इंडिया के बदले मेक फॉर द वर्ल्ड नीति लाएगी।
-कांग्रेस का कहना है कि वो मनरेगा 3.0 लाएगी। इसके तहत 150 दिन के रोजगार की गारंटी दी जाएगी।
-देश के 5 करोड़ परिवारों को न्याय योजना के तहत हर साल 72 हजार रुपए दिए जाएंगे। 1 साल के भीतर इसे शुरू किया जाएगा।
-कांग्रेस ने कहा है कि वो न्याज योजना को राज्यों के साथ मिलकर लाएगी। इसका अर्थ है केंद्र और राज्य में खर्चा बंटेगा।
-न्याय स्कीम के लिए सब्सिडी खत्म नहीं की जाएगी। न्याय योजना के लिए धन नए राजस्व के स्रोत और खर्च में कटौती के जरिए लाया जाएगा।
-घोषणा पत्र में कांग्रेस ने कहा है कि वो डायरेक्ट टैक्स कोड को पहले ही साल में लागू करेगी।
-दूसरी तरफ नया जीएसटी 2.0 कानून लाएगी। इसके तहत सभी वस्तुओं और सेवाओं पर एक समान टैक्स होगा।
-सिगरेट और शराब पर विशेष टैक्स लगाया जाएगा।
-पेट्रोलियम, तंबाखू, शराब को भी जीएसटी के तहत लाया जाएगा।
-कांग्रेस ई वे बिल को खत्म करेगी। जीएसटी के तहत तिमाही और वार्षिक रिटर्न ही भरने होंगे।
-जीएसटी का एक हिस्सा पंचायतों को भी दिया जाएगा।
-सरकारी बैंकों का विलय कर बड़े बैंक बनाए जाएंगे।
-नया कारोबार शुरू करने के लिए किसी तरह की मंजूरी जरूरी नहीं होगी।
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