कहानी आधी आबादी की: गणेशपुर की महिलाओं ने लोकपर्व में कभी वोट नहीं डाला

AJ डेस्क: देश में 17वें लोकसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है। तो बात मतदान की तो होनी ही चाहिए। लेकिन यहाँ हम सिर्फ मत की नहीं बल्कि उसके साथ अधिकार की भी बात करेंगे। दरअसल एक गांव है जहाँ आज भी वोट पर सिर्फ और सिर्फ वहाँ के मर्दों का ही अधिकार है। आजादी के 70 साल बाद भी आज तक वहाँ की एक भी महिलाओं ने अपने मत का प्रयोग नहीं किया। यह गांव और कहीं नहीं बल्कि अपने ही पडोसी राज्य उत्तर प्रदेश में स्थित है।
देश में जहां हर तरफ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर जोर दिया जा रहा है, तो वहीं उत्तर प्रदेश का एक गांव ऐसा है जहां आज भी महिलाएं वोट देने पोलिंग बूथ पर नहीं जाती है। उत्तर प्रदेश के धौरहरा लोकसभा क्षेत्र के अंतरगत आने वाले गणेशपुर गांव में आज भी महिलाएं वोट नहीं देती है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक गनेशपुर गांव में लगभग 4500 की जनसंख्या वाले इस गांव में करीब 3400 मतदाता है, जिसमें लगभग 1600 महिला मतदाता है, लेकिन वो आजादी के 70 साल बाद भी चाहे लोकसभा से लेकर पंचायत चुनाव तक क्यों न हो वो मतदान करने नहीं जाती, क्योकि यहां के पुरुष मतदान पर केवल अपना हक समझते है।
2014 के लोकसभा चुनाव में केवल 15 महिला मतदाताओं नें यहां वोट दिया था। लेकिन ये वो महिला वोटर थी जो सरकारी सेवा में है । हालांकि उन्हें सरकार के सरकारी योजनाओं के सभी लाभ तो चाहिए लेकिन वो अपने मत का मताधिकार नहीं समझती।
गौरतलब है कि साल 2000 में पंचायत चुनाव खत्म होने के बाद गनेशपुर प्रधानी सीट को महिला आरक्षित कर दिया गया और उम्मीद जताई गई की सायद इससे हालात सुधर जाएं लेकिन पंचायत चुनाव में भी वहीं हालात देखने को मिले जहां महिला उम्मीदवार तो होती है लेकिन वो अपने आप के लिए भी वोट देने नहीं जाती है।
आगामी लोकसभा चुनाव में अब देखने वाली बात यह होंगी की क्या यहां कुछ बदलाव देखने को मिलेंगे, या इस बार भी यहां महिलाओं को अपने अधिकार से वंचित रहना पड़ेगा।
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