VIDEO- शहीद इशरार का पार्थिव शरीर हुआ सुपुर्दे खाक

AJ डेस्क: आज हिन्दू नव वर्ष है और आज से शारदीय नवरात्र भी शुरू हो रहा है लेकिन कोयलांचल धनबाद की सड़कों और यहाँ के गली मोहल्लों में न तो भगवा पताका लहराता दिखा और न ही जय श्रीराम या जय माता दी का उद्घोष सुनाई दिया। कुछ दिखाई दिया तो बस हर ओर लहराता राष्ट्रीय तिरंगा और कुछ सुनाई दिया तो बस भारत माता की जय। दरअसल आज पूरा कोयलांचल मर्माहत था। धनबाद वासियों की आँखे नम थी। उनका गला रुंधा हुआ था। आज देश की कोयला राजधानी जाति और धर्म से ऊपर उठकर देश भक्ति के धर्म में डूब हुआ था। दरअसल आज कोयलांचल के लाल शहीद मो. इसरार सुपुर्दे खाक हो रहा था।

 

 

बिलखती माँ, कुहकता पिता बेटे के जाने के दर्द को शहीद के दर्जे का अमिट गर्व से दबाने की कोशिश करता दिखा। भाई और रिश्तेदार बचपन की यादों से शहीद इसरार को जिंदा रखने का प्रयास करते दिखें। जाति और धर्म को दरकिनार कर यहाँ जुटी हजारों की भीड़ इस दृश्य पर मर्माहत थी लेकिन उनका रोम रोम शहीद इसरार को नमन कर रहा था। उसे सलामी दे रहे थे। कलेजे को छलनी कर देने वाला और गर्व से भर देने वाले यह अनूठा संगम जिसने भी देखा वो खुद को धन्य मान कर इस चिता भूमि से लौटा।

 

 

छत्तीसगढ़ के कांकेर में शहीद बीएसएफ के जवान मो. इशरार का पार्थिव शरीर आज सुबह झरिया के साउथ गोलकडीह पहुंचा। इससे पहले शुक्रवार की रात कांकेर से शहीद का शव सेना के विमान से रांची लाया गया। जहाँ से देर रात शहीद का शव धनबाद पुलिस लाइन पहुंचा। इसके बाद बीएसएफ की गाड़ी से शनिवार की सुबह शहीद के शव को उसके घर पहुंंचाया गया। इस दौरान धनबाद से झरिया होते हुए गोलकडीह तक शहीद के स्वागत में सड़क के दोनों तरफ हजारों की संख्या में लोग हाथों में तिरंगा लिए अपने शहीद का एक झलक पाने को खड़े दिखें।

 

 

यहाँ देखें वीडियो (VIDEO)

 

 

जियारत के बाद दोपहर में झरिया के होरलाडीह कब्रिस्तान में शहीद के पार्थिव शरीर को सुपुर्दे खाक किया गया। हवा में लहराते तिरंगे, शहीद इसरार अमर रहें की गूंज, आंखों से बहती अश्रुधारा। कुछ ऐसा ही नजारा रहा धनबाद से साउथ गोलकडीह का। शहीद के अंतिम विदाई और सलामी देने के लिये मानो जन सैलाब उमड़ पड़ा था। छत्तीसगढ़ के कांकेर में 04 अप्रैल को नक्सलियों से हुई मुठभेड़ में आजाद खान का पुत्र 25 वर्षीय इसरार शहीद हो गये थे।

 

 

इसके बाद से ही साउथ गोलकडीह स्थित इसरार के घर पर प्रशासनिक अधिकारियों, राजनीतिक दलों के नेताओं, श्रमिक संगठनों के नेताओं व आम लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी। यहाँ सैकड़ो की संख्या में ऐसे लोग भी पहुंचे थे जिनका इस परिवार से खून का रिश्ता नहीं। ये तो बस देश की मिट्टी के लिए शहीद हुए इसरार को बस अपनी आँखों के साथ साथ अपने दिलों में भर लेने के लिए यहाँ पहुंचे थे।

 

 

 

 

बहरहाल 25 वर्षीय इसरार देश के लिए शहीद होकर अपनी माँ के दूध और इस देश का कर्ज चुकता कर गया और याद दिला गया अज्ञात का लिखा वो शेर जो उन्होंने देश पर मर मिटने वाले शहीदों के ऊपर लिखा था- “सैंकड़ों परिंदे आसमान पर आज नजर आने लगे” ”बलिदानियों ने दिखाई है राह उन्हें आजादी से उड़ने की”।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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