त्वरित, स्वस्थ एवम सुलभ न्याय देना उद्देश्य: डालसा चैयरमेन
AJ डेस्क: त्वरित, स्वस्थ एवं सुलभ न्याय देना प्राधिकार का उद्देश्य है। इसी कारण समय-समय पर हम अपने पैनल अधिवक्ताओं के लिए प्रशिक्षण शिविर आयोजीत करते हैं। समय-समय पर सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय कानून मे वर्णीत तथ्यों के संबध मे आदेश पारित करती रहती है। जिसे जानकर ही हम वादकारीयो को संपूर्ण न्याय दिलवा सकते हैं। उक्त बातें बुधवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकार के पैनल अधिवक्ताओं के लिए आयोजीत तीन दिवसीय एडवांस ट्रेनिंग कैंप के उद्घाटन समारोह मे प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधिश सह चेयरमैन डालसा बसंत कुमार गोस्वामी ने कहा।
इसके पूर्व प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधिश, प्रधान न्यायाधिश कुटुम्ब न्यायालय, अवर न्यायाधिश अविनाश कुमार दूबे, अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी शशिभूषण शर्मा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर शिविर का उद्घाटन किया। शिविर को संबोधित करते हुए कुटुम्ब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश सत्य प्रकाश ने कहा कि जहां नारी का सम्मान होता है वही देवता वास करते हैं। पत्नि अपने पति से भरण-पोषण पाने की अधिकारी है।
उन्होने आगे कहा की परित्याग एक प्रकार की क्रूरता है। वैवाहिक विवादों के वास्तविक समाधान को प्रोत्साहित करना न्यायालय का कर्तव्य है। दैनिक जीवन की छोटी मोटी घटनायें क्रूरता नही है। सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 16 मे पारित एक निर्णय मे कहा है की पति अपने विवाहिता पत्नि का स्वास्थ, सुरक्षा और देखभाल के लिए बाध्य है।
वहीं शिविर को संबोधित करते हुए अधिवक्ता जे पी दसौंधी ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत न्यायिक पृथककरण की डिक्री विवाह को समाप्त नही करती। इस मौके पर प्राधिकार के सचिव सह अवर न्यायाधिश अविनाश कुमार दूबे ने बताया की झारखंड विधिक सेवा प्राधिकार के निर्देश पर 24 अप्रैल से लेकर 26 अप्रैल तक तीन दिवसीय एडवांस ट्रेनिंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। जिसमें पैनल अधिवक्ताओं को हिंदू विवाह अधिनियम, विशेष विवाह अधिनियम , मुस्लिम लॉ, के अलावे इसाई, पारसी, यहूदी विशेष विवाह अधिनियम, भरण पोषण से संबधित कानून, संपत्ती अधिनियम, उपभोक्त्ता संरक्षण अधिनियम, एसटी-एससी एक्ट और इनसे संबधित सर्वोच्च न्यायालय व विभिन्न उच्च न्यायालयों द्वारा पारित किए गए निर्णयों के संबध मे बताया जाएगा।
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