VIDEO- LB & BROTHERS: देव प्रभा आउट सोर्सिंग जल उठा, गोलियां चली, दर्जनों वाहन हुए आग के हवाले
AJ डेस्क: एलबी एन्ड कुम्भनाथ ब्रदर्स पर आज एक बार फिर दबंगई का आरोप लगा है। जिस वजह से कोयलांचल एक बार फिर जल उठा। गोलियां चली, लाठी-डंडे चले, पत्थर बाजी हुई, आगलगी की घटना को भी अंजाम दिया गया। सूचना है कि इस मामले में कुछ लोगों को गोली भी लगी है जो अस्पताल में इलाजरत है। वहीं एक ग्रामीण महिला का आरोप है कि सिंह ब्रदर्स की ओर से की गयी गोलीबारी में एक ग्रामीण की मृत्यु भी हुई है जबकि अन्य किसी स्तर से अब तक किसी के मौत होने की घटना की पुष्टि नहीं हो पाई है। मामला धनबाद के भौरा ओपी अंतर्गत चार नंबर का है।
एलबी एंड कुम्भनाथ ब्रदर्स कोयलांचल के दो ऐसे नाम है जिनके आगे दबंग का टैग लग चुका है। ये हम नहीं कहते ये उनपे लगने वाले आरोप बता रहे है। दरअसल आज भी एलबी एन्ड कुम्भनाथ ब्रदर्स पर आज एक आरोप लगा जो काफी गंभीर है। दरअसल झरिया इलाके के भौरा में चल रहे आउटसोर्सिंग कंपनी देव प्रभा जिसपर इन्ही सिंह ब्रदर्स का अधिपत्य बताया जाता है। यहाँ के लोगों ने आज पुलिस के सामने भीड़ में खड़े होकर अपना बयान दिया है कि यह आउटसोर्सिंग कंपनी नियमो को ताक पर रख कर कोयला उत्खनन का काम कर रही है। जिस वजह से यहाँ से निकलने वाले काले धूल की वजह से लोगों का जीना मुहाल हो गया है और जब इसकी शिकायत करने हम आज यहाँ पहुंचे तो यहाँ मौजूद एलबी सिंह ने लोगों पर गोलियां चलाने का आदेश दिया। जिसके बाद यहाँ हुई गोली बारी में एक व्यक्ति की मौत हो गई जबकि दो अन्य लोग घायल हो गए है। हम यहाँ बता दें कि यहाँ हुई गोलीबारी और उसमें हुई मौत की अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
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बताया जाता है कि इसके बाद गुस्साए ग्रामीणों ने उत्खनन कार्य में लगे दर्जनों गाड़ियों को फूंक दिया। जिससे मौके पे खड़ी लाखों की गाड़ियां धू-धू कर जलने लगी। ग्रामीणों द्वारा यहाँ पथराव किए जाने की भी सूचना है। फिलहाल मौके पर पहुंची पुलिस ने पुरे इलाके को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया है और मामले की जाँच में जुट गई है।
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देव प्रभा आउट सोर्सिंग से शुरू हुआ तनाव भौरां बाजार को भी अपनी चपेट में ले लिया है। उग्र ग्रामीणों ने क्षेत्र के DY SP के वाहन पर पथराव किया है। बाजार की दुकानें बंद हो गयी हैं। कर्फ्यू सा नजारा है। सड़क पर दौड़ रही हैं तो सिर्फ पुलिस की वाहनें।
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धनबाद में भी लोकसभा चुनाव की तपिश बढ़ चुकी है। प्रशासन पर अभी विधि व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेवारी बढ़ी हुई है। उस वक्त घटित भौंरा काण्ड ने प्रशासनिक मुस्तैदी पर ही प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। भौरां कांड ने कोलियरियों के प्राइवेट जमाने की भी याद ताजा करा दी है। कोयला खदान चलाने वाले किस तरह स्थानीय ग्रामीणों का शोषण करते हैं, धन बल और जन बल के सहारे कैसे ग्रामीणों की आवाज कुचली जाती है। यह आज की घटना ने दिखा दिया है। अब कानून की भूमिका शुरू होती है। कानून अपने लंबे हाथ से दोषी का गर्दन दबोचती है या हाथ भारी होने से दबंग फिर दबंगई का लाइसेंस रिनुअल करा लेते हैं।
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