यह कौन सी राजनीति, रागिनी को तरजीह क्यों, भाजपा में “सम्मान” देने में भेद भाव क्यों?
AJ डेस्क: कोयलांचल में चुनावी हलचल बढ़ गयी है। विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशी मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए हर पैतरा अपना रहे हैं। ऐसा ही एक दृश्य देखने को मिल रहा है भाजपा के चुनावी मंच पर। जुम्मा जुम्मा आठ दिन पहले भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने वाली रागिनी सिंह को स्टार प्रचारक के मंच पर स्थान देकर भाजपा आखिर कौन सा सन्देश देना चाहती है।
संगठन परिवार या व्यक्ति विशेष के बल पर नहीं चल सकता। संगठन का रीढ़ उसके सदस्य, कार्यकर्ता को माना जाता है। कार्यकर्ता हमेशा अपने खून पसीना से सींच कर संगठन को मजबूत बनाते हैं, बदले में कार्यकर्ता अपने नेता से सम्मान की अपेक्षा रखते हैं। पार्टी के लिए समर्पित कार्यकर्ताओं को वर्षों लग जाते हैं संगठन की कोई पद या कुर्सी पाने में।

अब हम विषय वस्तु पर बात करते है। भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ साथ आम एवम ख़ास के बीच यह कौतूहल का विषय बना हुआ है कि झरिया से भाजपा के विधायक संजीव सिंह जो अभी धनबाद जेल में बंद हैं कि पत्नी रागिनी सिंह आखिर इतनी जल्दी इतना लंबा छलांग कैसे लगा गयीं। धनबाद से भाजपा के प्रत्याशी पशुपति नाथ सिंह के पक्ष में धनबाद चुनाव प्रचार करने आने वाले स्टार प्रचारक के मंच पर आखिर रागिनी किस हैसियत से विराजमान होती हैं। जानकारी के अनुसार रागिनी सिंह अभी भाजपा में एक साधरण सदस्य होंगी। रागिनी सिंह भाजपा या महिला मोर्चा की जिला कमेटी में किसी पद पर भी नहीं हैं। पार्टी के एक साधारण सदस्य को इतना अधिक तरजीह दिया जाना, लोगों को हजम नही हो रहा है।

यहां एक और सवाल उठता है। क्या धनबाद कोयलांचल की राजनीति सिंह मेंशन से ही शुरू होता है? सिंह मेंशन राजनीतिक घराना है। लेकिन क्या सिंह मेंशन के बिना यहां कोई भी राजनीतिक पार्टी का अपना वजूद नहीं है क्या। फिर आसन्न चुनाव में तो सिंह मेंशन का एक सदस्य खुद चुनावी विगुल फूंक चुका है। देवर भाजपा के खिलाफ है तो भाभी मंच पर स्थान पा रही हैं।
भाजपा के जिलाध्यक्ष चंद्र शेखर सिंह ने बताया कि स्टार प्रचारक के सुरक्षा की जिम्मेवारी विशेष टीम के पास होती है। उसी विशेष टीम के द्वारा यह तय किया जाता है कि मंच पर कितने लोग होंगे। फिर प्रत्याशी और जिला कमिटी के द्वारा मंच पर बैठने वालों की सूचि फाइनल कर सुरक्षा एजेंसी को सौंप दी जाती है। कहने का तातपर्य यह है कि रागिनी सिंह विधिवत मंच पर आमंत्रित की जाती हैं। जानकार कहते हैं कि सिंह मेंशन के निर्दलीय उम्मीदवार सिद्धार्थ गौतम का प्रभाव कम करने की नीयत से उसी घराने की एक बहू (रागिनी सिंह) को सामने लाया गया है। यहां भाजपा “समरथ को नहीं दोष गोसाईं” कहावत को चरितार्थ कर रहा है।

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