राष्ट्रीय सम्पति लूट कर “राष्ट्र निर्माण” की बात करते हैं सफेदपोश

AJ डेस्क: है न कुछ अजीब बात। राष्ट्रीय सम्पति दोनों हाथ लुटा जा रहा है, वह भी राष्ट्र निर्माण के लिए। जी हां, कोयलांचल के सफेदपोश कुछ इसी तरह का दावा करते हैं। इसमें एक वर्ग ऐसा भी है जिसके कारगुजारियों का कितना भी खुलासा हो जाए, उसके सेहत पर कोई असर नहीं पड़ता। आखिर इसके लूट का हिस्सा भी तो राष्ट्र निर्माण में ही जा रहा है।

 

 

धनबाद जिला से गुजरने वाली जी टी रोड काला हीरा के काला खेल के खिलाड़ियों के लिए वरदान साबित हो रहा है। बरवा अड्डा और बाघमारा तो अवैध कारोबारियों के लिए “सेफ जोन” बना हुआ है। इन दोनों क्षेत्र में काला हीरा का काला कारोबार धड़ल्ले से चरम पर चल रहा है। क्षेत्र की अगुवाई करने वालों के कंधे पर बड़ी जिम्मेवारी भी तो है। पैसा के बल पर उन्हें खुद चुनाव लड़ना भी है और ऊपर से पार्टी फंड में भी मोटी राशि जमा करनी है।

 

 

इन दोनों क्षेत्र के नेता जी को पैसे के बल पर टिकट भी चाहिए और पैसे के बल पर यह वोटर को खरीद चुनाव जीतने का सपना भी संजोए हुए हैं। सूबे की राजधानी के न सिर्फ राजनैतिक गलियारे बल्कि प्रशासनिक महकमा में भी गहरी पैठ रखने वाले इन कारोबारियों को किसी भी एजेंसी की चिंता नहीं है। यह बेधड़क धड़ल्ले से राष्ट्रीय सम्पति लूटने में व्यस्त हैं। स्थानीय एजेंसी से इस हालात में कैसे उम्मीद की जा सकती है कि वह सत्ता के पोसपुतो पर हाथ रख सके।

 

 

हमेशा अपनी सोच सही निकले और सफलता कदम चुमे। यह सोचना भी गलत है। “दादा” संघर्ष के बदौलत नेता बने और राजनैतिक गलियारे तक पहुंचे, उम्र का तकाजा कहने लगा कि विरासत को आगे बढ़ाना है तो पुत्र को प्रोजेक्ट करो। प्रयास भी शुरू हुआ लेकिन दादा के पोता ने सब किया धरा पर पानी फेर दिया। वैसे अभी चुनाव में समय है लेकिन दादा-पोता की पूरी कहानी कई माध्यम से उचित मंच तक पहुंच चुका है जो इनके मंसूबे पर पानी फेर देगा।

 

 

यही कहानी बाघ-मारने वाले टाइगर की है। समरथ को नहीं दोष गोसाई, अभी चलती का नाम गाड़ी। कोल इंडिया की कम्पनी बी सी सी एल मानो बाघ के क्षेत्र में केवल उसी की जरूरत के अनुसार उत्पादन कर रहा है। इस सिंडिकेट से कोयला बचने पर कम्पनी उसे बाजार में बेच पाता है। आउट सोर्सिंग कम्पनियों के अधिकारियो को पिटवा कर भगा देना, उद्योगपतियों को रंगदारी के लिए बाप बाप करा देना आदि आदि गुणों से सम्पूर्ण इन महाशय की भी काला चिठ्ठा दिल्ली तक पहुंचा हुआ है।

 

 

कानून से न तो किसी के हाथ लम्बे है और न ही कानून से कोई बच पाया है। कभी बोकारो, चास, पुरुलिया और दामोदर नदी का किनारे का बादशाह कहे जाने वाले गोयल को भी बिल में दुबकना पड़ा था। उस वक्त भी एक चर्चित अधिकारी ने खुला सरंक्षण देकर गोयल को ऑक्सीजन दिया था। अभी भी इसे सूबे के एक चर्चित आई पी एस का वरदहस्त प्राप्त है। जानकार बताते हैं इनकी कुंडली भी सही टेबल पर पहुंच चुकी है।

 

 

शनिवार को धनबाद की स्पेशल पुलिस टीम ने दे दनादन कोयला के अवैध कारोबारियों के यहाँ छापा मारा। लेकिन इस स्पेशल टीम के द्वारा मण्डल, गोयल, राय और बाघ+मारा सिंडिकेट के यहां दस्तक नही दिए जाने से क्षेत्र में तरह तरह की चर्चाएं आम हो गयी है।

 

 

 

 

 

 

 

 

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