कहानी दस हजारी पेड रिपोर्टर की, राइटर कोयला चोर, प्रोड्यूसर दलाल

अरुण कुमार तिवारी…

AJ डेस्क: कुछ अटपटा सा लग रहा होगा,इस लेख का शीर्षक परन्तु यही सत्य है। सच्ची घटना पर आधारित जब भी कोई कहानी समाज के बीच आती है तो एक बड़ा वर्ग उसे जल्दी हजम नहीं कर पाता। यह कहानी भी कोयला चोर, चोरों का सफेदपोश दलाल और एक कलम के सिपाही के इर्द गिर्द घुमता है। कोशिश की गयी है कि समाज इन दलालों से बचे।कोयला चोर तो कोयला चोर हैं, जगजाहिर है, उनका क्या कहना।

 

 

घटना लगभग एक वर्ष पूर्व की है। कोयलांचल में सुनियोजित ढंग से कोयले का अवैध कारोबार चल रहा था। “अनल ज्योति” उस वक्त व्हाट्सअप के माध्यम से पाठकों तक खबर पहुंचाया करता था। एक दिन पत्रकारों के अड्डा पर एक व्यक्ति विशेष की चर्चा छिड़ी हुई थी। उसके कोयला के कारोबार को लेकर चर्चा हो रही थी। कुछ पत्रकार बन्धुओं ने कहा-भैया, इसके कारगुजारियों का पर्दाफाश आप ही कर सकते हैं। खेल की जानकारी ली गयी, फिर अपने स्तर से सत्यता की जाँच की गयी। सूचना सही थी। बस, फिर क्या था। इस खेल पर एक लेख लिख डाला गया। जिला मुख्यालय से लेकर राजधानी तक हड़कम्प मच गया। खेल से जुड़े सभी लोगों के बीच खलबली मच गयी। और प्रशासनिक कार्रवाई भी हो गयी।

 

 

“अनल ज्योति” टीम संतुष्ट था कि व्हाट्सअप पर भी चलाये गए खबर की इम्पैक्ट देखने को मिला। यह हुई खबर, कार्रवाई का पक्ष। अब सिक्का का दूसरा पहलू। इस दूसरे पहलु से अनल ज्योति अनभिज्ञ था। कोयला व्यापारी, पार्टनर और दलाल की तिकड़ी यह सोचने पर मजबूर था कि आखिर यह खबर कैसे प्रकाशित हो गयी। सूचना और भीतर की जानकारी देने वाला कौन था? सवाल उस दलाल से सीधे था। अनल ज्योति अपने पाठकों और प्रशासनिक अधिकारियों को सफेदपोश दलाल के बारे में बताना चाहता है। साथ ही वर्दी और कलम के सिपाहियों का नाम बेच यह दलाल कैसे अपना सेटिंग करता है। यह जानना भी जरूरी है। क्योंकि यह दलाल भी कलम तोड़ सिपाही है। संगठन का “उपाध्य—-” है। क्लब का “उपाध्य—–” होने का भी धौंस है न।

 

 

“बाबा”, पुरव पच्छिम के सम्मानित, उपाध्य—-। कितना परिचय चाहिए- सफेदपोश होने का। जबकि काला हीरा के काला खेल का सबसे दबंग बड़ा दलाल भी है यह। क्लब का उपाध्य—–है न। सो, बिरादरी का भी ठेका ले लेता है। इससे पूछा गया कि खबर कैसे छप गयी। अपनी चमड़ी बचाने के लिए अपने ही जिगर वर्षों पुराने पार्टनर पर गेम खेलते यह दलाल सभी जगह बोलता है कि यह “पेड” न्यूज है। दस हजार देकर छपवाया गया है। खबर सही थी कि नहीं, कार्रवाई हुई या नहीं। यह सब गौण हो जाता है। अपना बाजार ध्वस्त होते देख कलम के सिपाही को दस हजारी पेड न्यूज वाला बना दिया। अपने पार्टनर को धोखेबाज बना दिया। इस पूरे मामले का खुलासा पत्रकार बन्धुओं ने ही किया। अनल ज्योति में कोयला के अवैध कारोबार की लगातार खबर प्रकाशित होने के बाद बिरादरी के भाइयों ने पेड न्यूज वाली वाक्या का खुलासा किया। ततपश्चात अनल ज्योति ने बाबा पर ही काम शुरू कर दिया। अब अनल ज्योति के पास बहुत सारे ऑडियो, वीडियो क्लिप हैं जो इस दलाल तथाकथित बाबा के चरित्र को उजागर कर सकता है। किस्मत वाले जैन मुनि हों या अभी जगमगाता दीपक हो, उनसे इनके सम्बन्ध, जो कभी शांत न रहे अशांत या निशांत से गहरी दोस्ती।

 

 

आज इस लेख के लिखने के पीछे एक ही मकसद है। प्रशासन के वरीय अधिकारी थोड़ा सावधानी बरतें। रोज रोज आपसे मिलने का बाहर क्या बेजा लाभ उठाया जाता है, उसपे भी नजर रखें। कलम के धुरंधर सिपाहियों सावधान। आपको भी नही मालूम कि आप कहाँ-कहाँ बिक रहे हैं। आप अपने कर्म के मुताबिक कॉलर उठा कर घूम रहे है और सामने वाला चोर आपका रेट तय कर उपहास उडाता है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Article पसंद आया तो इसे अभी शेयर करें!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »