बजट पेश करने में भारतीय परम्परा का रखा जा रहा ख्याल
AJ डेस्क: हर साल बजट पेश होने से पहले वित्त मंत्री के हाथों में चमड़े के बैग वाली ये तस्वीर ये बताने के लिए काफी होती है कि आज बजट पेश हो रहा है। लेकिन इस बार बजट पेश होने से पहले संसद के बाहर कुछ अलग ही नजारा देखने को मिला। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के हाथ में कोई ब्रीफकेस नहीं था बल्कि वह लाल रंग के कपड़े में बजट दस्तावेज को लेकर बाहर लेकर आयी थीं। ये एक बड़े बदलाव की नई तस्वीर है। कहा जाता है कि भारतीय संस्कृति में शुभ काम के लिए लाल रंग का विशेष महत्व होता है। मोदी सरकार ने भी लाल रंग को अपनाया है जो एक शुभ संकेत है।
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इस बार ब्रीफकेस की जहग लाल कपड़े में बजट दस्तावेज पर मुख्य आर्थिक सलाहाकार केवी सुब्रमण्यन ने कहा कि यह एक भारतीय परंपरा है और यह इस बात का संकेत है कि हम पश्चिमी सभ्यता को छोड़ रहे है। साथ ही उन्होंने कहा कि ये बजट नहीं बही खाता है।
बता दें कि लोकसभा चुनाव 2019 से पहले सरकार ने अंतरिम बजट पेश किया था। आप भी जानिए बजट में क्या है इस ‘बैग’ का रोल कैसे हुई इसकी शुरुआत और कहां चला गया है अब। आपको जानकर हैरानी होगी कि ब्रिटिश सरकार ने भी लाल ब्रीफकेस को 2010 में ही रिटायर कर दिया है।
Chief Economic Advisor Krishnamurthy Subramanian on FM Nirmala Sitharaman keeping budget documents in four fold red cloth instead of a briefcase: It is in Indian tradition. It symbolizes our departure from slavery of Western thought. It is not a budget but a 'bahi khata'(ledger) pic.twitter.com/ZhXdmnfbvl
— ANI (@ANI) July 5, 2019
बोजेट से बना बजट
हम आम बोल-चाल में जिस बजट का इस्तेमाल करते हैं, वो फ्रेंच शब्द बोजेट से बना है। दरअसल चमड़े की थैली को फ्रेंच भाषा में बोजेट या बुगेट कहते हैं। साल 1733 में ब्रिटिश वित्तमंत्री रॉबर्ट वॉलपोल चमड़े के थैले में देश की आर्थिक स्थिति का लेखा-जोखा पेश करने आए थे, बाद में ये लेखा बजट बन गया। आज के समय में दुनियाभर के सैकड़ों देशों में आर्थिक लेखा-जोखा पेश करने के तरीकों को बजट ही कहा जाता है।
लाल बैग का किस्सा है मजेदार
बजट में इस्तेमाल होने वाले बैग के लाल रंग के पीछे भी रोचक कहानी है। 1860 में ब्रिटेन के चांसलर ग्लैडस्टोन ने लकड़ी के बक्से पर लाल रंग का चमड़ा मढ़वा दिया। इस बक्से पर उन्होंने महारानी विक्टोरिया का मोनोग्राम भी लगवा दिया। बाद के दिनों में इस बैग में कई तरह के बदलाव आते गए। वित्त मंत्रियों ने अपने हिसाब से इसमें कई बदलाव किए लेकिन लाल रंग सभी का पसंदीदा रंग बना रहा। बाद में इस लाल रंग को ही बजट के बैग के लिए फिक्स कर दिया गया।
पहला बजट 197 करोड़ का
1947 में भारत को आजादी मिलने के बाद देश के पहले वित्त मंत्री आरके षणमुखम शेट्टी बने, उन्होंने 26 नवंबर 1947 को आजाद भारत का पहला बजट पेश किया। आपको जानकर हैरानी होगी कि उन दिनों पूरे देश का बजट महज 197 करोड़ रुपये का था।
कई बार बदला रंग
इतने सालों में इस बैग का आकार लगभग बराबर ही रहा। हालांकि, इसका रंग कई बार बदला है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 1991 में परिवर्तनकारी बजट पेश किया तो वह काला बैग लेकर पहुंचे थे। जवाहरलाल नेहरू, यशवंत सिन्हा भी काला बैग लेकर बजट पेश करने पहुंचे थे, जबकि प्रणब मुखर्जी लाल ब्रीफकेस के साथ पहुंचे थे। पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के हाथों में ब्राउन और रेड ब्रीफकेस दिखा था। इस साल अंतरिम बजट पेश करने वाले कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल लाल ब्रीफकेस के साथ सदन में पहुंचे थे।
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