“परिवारवाद” को तरजीह देने से क्या बच पाएगी यह सिद्धांतवादी पार्टी? (पार्ट- 05)

AJ डेस्क: झारखण्ड में विधान सभा चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है। हालांकि अभी इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। फिर भी टिकट के दावेदार जोर आजमाइश शुरू कर चुके हैं। कोयलांचल भी इससे अछूता नही है। अभी बात चल रही है झरिया क्षेत्र की। कोयलांचल का प्रभावी रहा यह घराना भी टिकट के दौड़ में शामिल है। टिकट किसे मिलेगा। यह तो समय के गर्भ में है। लेकिन अपनी मजबूत दावेदारी कर इस घराना ने एक “राष्ट्रीय पार्टी” के ही नीति और सिद्धांतो को जनता के बीच प्रश्नों के कठघरे में ला खड़ा किया है।

 

 

 

 

इस राष्ट्रीय पार्टी के भीतर ही इस बात की चर्चा चल रही है कि पार्टी स्वच्छ छवि वाले नेता को ही प्रत्याशी बनाने की सोच रहा है। हिंदुस्तान के राजनीतिक क्षितिज पर अभी चमक रही इस राष्ट्रीय पार्टी के नेता सार्वजनिक मंच पर सत्ता से दूर चल रही एक पुरानी राष्ट्रीय पार्टी को निशाना पर रखते हुए दहाड़ते हैं कि वह पार्टी “वंशवाद” को तरजीह देती है। वह यह भी दावा करते है कि वह वंशवाद और दागी नेताओं के राजनीति में होने के खिलाफ है। अब तो चुनाव नजदीक है। उस वक्त ही पता चलेगा कि इस उभरती हुई पार्टी के कथनी और करनी में क्या अंतर है। कोयलांचल में राष्ट्रीय पार्टी वंशवाद से क्या बच पाएगा या यहां दोहरी नीति अपनाएगा। यहां सवाल इसलिए उठ रहा है कि अलग झारखण्ड राज्य बनने और लगभग इसी पार्टी के सत्ता के इर्द गिर्द रहने के क्रम में इस सीट पर वंशवाद ही देखने को मिला है। इस घराना का प्रभाव देखें जुम्मा जुम्मा चार दिन हुए पार्टी में शामिल सदस्य की भी दावेदारी टिकट के लिए पेश किया जा रहा है।

 

 

 

 

स्वच्छ छवि को दर्शाने के लिए यह पार्टी अपने विधायको और टिकट के दावेदारों की छवि की गोपनीय जाँच करवा रही है। कोयला से रंगदारी, आउट सोर्सिंग कम्पनियों के अधिकारियो पर हमला करवाने, हार्ड कोक भट्ठा के मालिकों से पंगा, महिला कार्यकर्ता को लेकर चारित्रिक विवाद जैसे अनेक अवैध कार्यों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले नेता को क्या पार्टी पुनः अपना प्रत्याशी बनायेगी या उनका टिकट कटेगा। सामूहिक नर संहार की छींटा जिसपे पड़ी हो क्या उसके घराने की टिकट दावेदारी पार्टी स्वीकार करेगी। यह सही है कि मामला अभी न्यायालय में है, फैसला हुआ नही है लेकिन इसी सत्ताधारी पार्टी कक सरकार के ही पुलिस तंत्र ने चार्ज शीट किया है।

 

 

 

कहते हैं राजनीति में सब जायज है। येन केन प्रकरेण सभी को गणित की राजनीति करनी है। सर्वाधिक सीट जीतकर सत्ता पर काबिज होना मुख्य उद्देश्य है।वंशवाद, परिवारवाद, भ्रस्टाचार पर जनता को मंच से जोशीले भाषण दिया जा सकता है, उसे अपने ऊपर लागू करने की बात तो कभी किसी ने नही कही। कोयलांचल की जनता भी अब इस सिद्धांतवादी पार्टी पर नजर रखे हुए है। वह भी देखना चाहती है कि यह पार्टी टिकट आवंटन में वंशवाद, परिवारवाद, आपराधिक पृष्ठभूमि की नीति पर क्या रुख अपनाता है।

 

 

 

 

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